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फेडरल रिजर्व के कदम से शेयर बाजार में रौनक, लगातार 7वें सप्ताह बढ़त के साथ बंद

विशेषज्ञों ने कहा कि फेड का कदम भारतीय बाजारों के सेंटिमेंट को मजबूती देने वाला रहा और वास्तविक अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर सीमित रहेगा।

Last Updated- December 15, 2023 | 10:33 PM IST
BSE में लिस्टेड कंपनियों का MCap रिकॉर्ड 445.43 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचा, MCap record of companies listed in BSE reached the level of Rs 445.43 lakh crore

Stock Market: सेंसेक्स और निफ्टी लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में एक फीसदी से ज्यादा उछल गए और इस तरह से बाजारों ने लगातार सातवीं साप्ताहिक बढ़त दर्ज की। आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Fed Reserva) की तरफ से उठाए गए कदम और बॉन्ड प्रतिफल की तीव्र वापसी ने दुनिया भर में जोखिम लेने की स्वाभाविक इच्छा में बढ़ोतरी की।

Sensex 970 अंक चढ़कर 71,484 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी ने 274 अंकों की छलांग के साथ 21,457 पर कारोबार की समाप्ति की। हालिया तेजी को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के मजबूत निवेश और तकनीकी शेयरों में तीव्र उछाल से सहारा मिला।

एफपीआई ने देसी शेयरों में 9,239 करोड़ रुपये का निवेश किया जबकि देसी निवेशकों ने 3,077 करोड़ रुपये की निकासी की। इन्फोसिस और टीसीएस में 5-5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और सेंसक्स की बढ़त में उनका योगदान 418 अंकों का रहा।

हफ्ते में Nifty 2.3 फीसदी चढ़ा

हफ्ते में निफ्टी 2.3 फीसदी चढ़ा। पिछले सात हफ्ते में 50 शेयरों वाले इंडेक्स में 12.3 फीसदी की उछाल आई है। यह दिसंबर 2020 के बाद सबसे लंबा साप्ताहिक बढ़त का सिलसिला है, जब उसने लगातार सात हफ्तों में बढ़त से 18 फीसदी की उछाल दर्ज की थी।

दिसंबर में अब तक सेंसेक्स 6.7 फीसदी चढ़ा

दिसंबर में अब तक सेंसेक्स 6.7 फीसदी चढ़ा है जबकि निफ्टी में 6.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अगर यह बढ़त कायम रहती है तो यह जुलाई 2022 के बाद यह उनकी सबसे अच्छी मासिक बढ़त होगी।

बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बेंचमार्क दरें 22 साल के उच्चस्तर पर बरकरार रखी, लेकिन स्पष्ट संकेत दिया कि दरों में कटौती हो सकती है।

अगले साल दरों में 75 आधार अंकों की कटौती संभव

केंद्रीय बैंक के कुछ अधिकारियों ने संकेत दिया कि अगले साल दरों में 75 आधार अंकों की कटौती होगी। साथ ही यह आशावाद कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था नरम उधारी देखेगी, इससे भी सेंटिमेंट मजबूत हुआ। नरम उधारी का इस्तेमाल महंगाई पर विजय के लिए किया जाता है और वह भी अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना।

जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, निवेशकों ने भरोसा जताया कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर संकट के बादल कैलेंडर वर्ष 24 की दूसरी छमाही में छंट जाएंगे, जिससे मौद्रिक नीति सामान्य हो जाएगी और नरम उधारी देखने को मिलेगी। हालांकि हमें बाजार में अल्पावधि में एकीकरण की उम्मीद है क्योंकि मूल्यांकन ऊंचा है और अल नीनो व वैश्विक जीडीपी को लेकर चिंता है।

विशेषज्ञों ने कहा कि फेड का कदम भारतीय बाजारों के सेंटिमेंट को मजबूती देने वाला रहा और वास्तविक अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर सीमित रहेगा।

एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख शेषाद्रि सेन ने कहा, फेड के ताजा रुख से बाजारों में तेजी को एक और पंख मिल गए हैं। निचले दर से आय पर असर नहीं होगा और यह ज्यादा एफपीआई निवेश के तौर पर देखने को मिलेगा, जिससे दोबारा रेटिंग होगी।

चुनाव के बाद नीतिगत स्थिरता और पूंजीगत खर्च पर लगातार मजबूती व विनिर्माण चक्र के साथ यह जुड़ गया है। हमें इक्विटी में लगातार मजबूती दिख रही है और किसी भी तकनीकी गिरावट का इस्तेमाल निवेश के लिए किया जाना चाहिए।

हालांकि यूरोपियन सेंट्रल बैंक के अधिकारियों की सतर्कता ने बाजार के सेंटिमेंट पर असर डाला है। गुरुवार को यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने दूसरी बार दरें यथावत रखी और उसकी प्रमुख क्रिस्टिन लेगार्ड ने कहा कि नीति निर्माताओं को महंगाई में हालिया नरमी से संतुष्ट नहीं होना चाहिए।

First Published - December 15, 2023 | 10:26 PM IST

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