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Stock Market: फेडरल रिजर्व के रुख से शेयर बाजार में कोहराम, लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट

तिमाही आर्थिक अनुमान बताते हैं कि फेड के 19 में से 12 अधिकारी इस साल ब्याज दरें एक बार फिर बढ़ाने की संभावना जता रहे हैं।

Last Updated- September 21, 2023 | 10:08 PM IST
Share Market

बेंचमार्क सूचकांकों में लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट दर्ज हुई क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) ने संकेत दिया है कि ब्याज दरें लंबे समय तक उच्चस्तर पर बनी रह सकती है।

अन्य अवरोध मसलन कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा और भारत व कनाडा (विदेशी पूंजी का अहम स्रोत) के बीच बढ़ते तनाव का भी निवेशकों के सेंटिमेंट पर असर पड़ा। इसके अलावा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने बिकवाली बढ़ा दी और दूसरे दिन 3,600 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे।

सेंसेक्स 571 अंक गिरकर 66,230 पर बंद

सेंसेक्स (Sensex) 571 अंक गिरकर 66,230 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 159 अंकों की फिसलन के साथ 19,742 पर टिका। उम्मीद के मुताबिक अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बेंचमार्क दरें बुधवार को अपरिवर्तित रखी लेकिन अपने तिमाही अनुमान में बताया कि उधारी लागतें निश्चित तौर पर लंबे समय तक ऊंची बनी रहेगी।

तिमाही आर्थिक अनुमान बताते हैं कि फेड के 19 में से 12 अधिकारी इस साल ब्याज दरें एक बार फिर बढ़ाने की संभावना जता रहे हैं। विश्लेषकों ने कहा कि नीति निर्मातापहले के अनुमान के मुकाबले दरों में कुछ ही कटौती की संभावना देख रहे हैं, जिसकी वजह मजबूत श्रम बाजार है। विश्लेषकों ने कहा कि फेड के अनुमान बाजारों की संभावना के मुकाबले ज्यादा आक्रामक रहे।

फेडरल रिजर्व ने पिछले 18 महीने में ब्याज दरें शून्य से 22 साल के उच्चस्तर 5.25 फीसदी से 5.5 फीसदी पर पहुंचा दी है। हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत उपभोक्ता खर्च व ठोस श्रम बाजारके बीच सुदृढ़ बनी हुई है।

नोमूरा के इक्विटी रणनीतिकार चेतन सेठ ने कहा, नया अनुमान स्पष्ट तौर पर उम्मीद से ज्यादा आक्रामक है। फेड हालांकि 2023 में एक बार और ब्याज बढ़ोतरी मानकर चल रहा है। साथ ही 2024 व 2025 के आखिर के लिए उसका 50-50 आधार अंक बढ़ोतरी का अनुमान अनिवार्य तौर पर लंबे समय तक उच्च दरों का संकेत दे रहा है। मेरा मानना है कि आक्रामक रुख से एशियाई शेयरों पर अल्पावधि में कुछ दबाव रह सकता है। अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी, मजबूत डॉलर और ऊर्जा की ऊंची कीमतें एशियाई शेयरों के लिए मुश्किल खड़ी करने वाली बात है।

अन्य केंद्रीय बैंकों के कदमों ने भी निवेशकों की मनोदशा में बहुत ज्यादा सुधार नहीं किया। गुरुवार को नॉर्वेज बैंक ने उधारी लागत 14 साल क उच्चतम स्तर पर पहुंचा दी और कहा कि वह फिर दरें बढ़ा सकता है।

स्वीडन के रिक्सबैंक ने मुख्य दरें अनुमान के मुताबिक बढ़ाई और कहा कि और बढ़ोतरी संभव है। बैंक ऑफ इंगलैंड ने करीब दो साल में ब्याज दरें अपरिवर्तित रखीं। शुक्रवार को अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से सेंसेक्स व निफ्टी में क्रमश: 2.4 फीसदी व 2.3 फीसदी की गिरावट आई।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, उच्चस्तर पर मुनाफावसूली के कारण बाजार पिछले तीन दिन में टूटे हैं। अनिश्चित वैश्विक संकेतक और एफपीआई की तरफ से लगातार बिकवाली बाजारों पर दबाव बनाए रखेंगे। बाजार के स्थिर होने तक कुछ समय के लिए रक्षात्मक शेयरों को तरजीह देना बेहतर रहेगा।

ब्रेंट क्रूड की कीमतें पिछले दो सत्रों में नरम हुई है लेकिन अभी भी यह 92.5 डॉलर पर है, जो तीन हफ्ते पहले के मुकाबले 9 फीसदी ऊपर है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें महंगाई पर लगाम कसने के केंद्रीय बैंकों की कोशिश को जटिल बना रही है।

बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और 2,436 शेयर गिरे जबकि 1,230 में इजाफा हुआ। सेंसेक्स के करीब 80 फीसदी शेयरों ने गिरावट का सामना किया।

First Published - September 21, 2023 | 10:07 PM IST

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