वित्तीय बाजार के कई क्षेत्र स्वविनियमन निकायों और संस्थागत स्तर पर गवर्नेंस की वकालत कर रहे हैं, लेकिन बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अमरजीत सिंह का मानना है कि स्वविनियमन (Self Regulation) से इच्छित नतीजे नहीं मिले हैं।
सिंह ने कहा, पर्याप्त विनियमन के अभाव में वित्तीय कदाचार और धोखाधड़ी की प्रवृत्ति उद्योग में बार-बार देखने को मिलती है। स्वविनियमन का सिद्धांत या यह भरोसा कि बाजार खुद ही ध्यान रख लेगा, वास्तव में ठीक तरीके से काम नहीं करता।
बोर्ड इवेल्युएशन व कंसल्टिंग फर्म एक्सीलेंस एनेबलर्स की तरफ से आयोजित गेटकीपर्स ऑफ गवर्नेंस (कॉरपोरेट गवर्नेंस पर) सेमीनार को सिंह संबोधित कर रहे थे। अपनी राय पर जोर देने के लिए उन्होंने कुछ उदाहरण सामने रखे।
उन्होंने कहा, हमारे पास नकारात्मक कॉरपोरेट का खासा हिस्सा है। हमने 15 साल पहले सॉफ्टवेयर फर्म में धोखाधड़ी देखी, बड़ी इन्फ्रा कंपनी में भी ऐसा ही हुआ, जिसकी 3,000 से ज्यादा सहायक फर्में हैं। निजी क्षेत्र के बड़े बैंक में धोखाधड़ी हुई। रत्न व आभूषण कंपनी के प्रवर्तक देश छोड़कर भाग गए और ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ने अपने चेयरमैन व सीएफओ को नौकरी से हटा दिया।
सिंह ने कहा, इस साल कुछ बड़े वैश्विक बैंकों के नाकाम होने की एक वजह कुछ प्रावधानों की वापसी है, जिससे निगरानी शिथिल पड़ी और कम पूंजी की जरूरत हुई। उन्होंने ऐसे उदाहरण सामने रखे, जो प्रभावी निगरानी की जरूरत बताती है।