वर्ष 2022-23 में प्रमुख उत्सर्जन करने वाले गिने-चुने प्रमुख क्षेत्रों की सूचीबद्ध कंपनियां थीं। इस क्रम में बिजली, धातुओं व खनन, विनिर्माण सामग्री, रसायन के साथ साथ तेल, गैस व उपयोग में आने वाला ईंधन सामूहिक रूप से 90 फीसदी उत्सर्जन करता है।
यह 1,040 सूचीबद्ध कंपनियों के आंकड़ों को संकलित की गई ईवाई इंडिया की सालाना रिपोर्ट के विश्लेषण पर आधारित है। यह रिपोर्ट बिज़नेस स्टैंडर्ड को साझा की गई है।
इन कंपनियों ने स्कोप 1 उत्सर्जनों के अंतर्गत 1.26 अरब और स्कोप 2 उत्सर्जनों के अंतर्गत 0.14 अरब मीट्रिक टन कार्बन डॉइआक्साइड इक्वलेंट (एमटीसीओ2ई) उत्सर्जन किया था। इस क्रम में स्कोप 1 के तहत प्रत्यक्ष उत्सर्जन आते हैं जबकि स्कोप 2 के तहत बाहरी स्रोतों जैसे बिजली खरीद आदि के अप्रत्यक्ष स्रोत आते हैं।
ईवाई इंडिया के चिरस्थायी व पर्यावरण, सामाजिक व शासन (ईएसवाई) के पार्टनर नीतीश महरोत्रा ने कहा, ‘भारत से होकर वैश्विक नेट जीरो का रास्ता गुजरता है। हम क्षेत्र या चुनिंदा स्थानों पर उत्कृष्टता की शुरुआत के गवाह बनने वाले हैं। हमारे समय में सबसे बड़े बदलावों में से एक ऊर्जा में बदलाव है।’
आकंड़े दर्शाते हैं कि 71 फीसदी कंपनियों की परियोजनाएं ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने पर केंद्रित हैं।
सेंटर फॉर साइंस ऐंड इकनॉमिक प्रोग्रेस की एसोसिएट फेलो अंशिका अमर ने कहा, ‘कंपनियां कई तरह की पहल कर सकती हैं। इनमें नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश, हरित नौकरियों का प्रशिक्षण, ऊर्जा दक्षता में विकास और कम कार्बन वृद्धि की ओर बढ़ना है।’
उदाहरण के तौर पर टाटा मोटर्स बिजली चालित वाहनों की श्रृंखला का विस्तार कर रही है और मांग को पूरा करने के लिए गैर जीवाश्म ईंधन के स्रोतों में निवेश कर रही है।
उपभोक्ता सामान की कंपनियां कच्चे सामान के लिए कृषि क्षेत्र पर आश्रित हैं और वे चिरस्थायी कृषि के तरीकों और क्लाइमेट स्मार्ट फार्मिंग के तरीकों को अपना रही हैं। अन्य कंपनियां जैसे जीएसडब्ल्यू ग्रुप ने 2050 तक कार्बन न्यूट्रल होने की घोषणा की है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2035 के लिए नेट जीरो कार्बन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
बीते महीने एनटीपीसी और ऑयल इंडिया ने नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन में सहयोग के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया। कुल मिलाकर कंपनियों ने 14.4 लाख करोड़ लीटर (टीएल) पानी का इस्तेमाल कम किया है। इसमें सतह के जल से 8.6 टीएल, भूमिगत जल से 0.5 टीएल और अन्य स्रोतों से बाकी जल की आपूर्ति है।