भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने खुदरा कीमत संबंधित मुद्रास्फीति का अनुमान चालू वित्त वर्ष की इस तिमाही के लिए 6 प्रतिशत के अपने सामान्य स्तर से भी आगे बढ़ा दिया है।
सब्जियों (खासकर टमाटर) की कीमतों में तेजी भी एमपीसी द्वारा अपना मुद्रास्फीति अनुमान दूसरी तिमाही के लिए एक प्रतिशत तक बढ़ाकर 6.2 प्रतिशत किए जाने की मुख्य वजह है। जून में हुई पिछली नीतिगत बैठक में, एमपीसी ने मुद्रास्फीति का अनुमान 5.2 प्रतिशत निर्धारित किया था।
हालांकि, एमपीसी को मॉनसून में बड़े सुधार और जुलाई में खरीफ बोआई को देखते हुए सब्जियों की कीमतों में गिरावट की उम्मीद थी। लेकिन उसने चेताया है कि असमान बारिश के प्रभाव पर सतर्कता के साथ नजर रखे जाने की जरूरत होगी।
खरीफ बोआई इस साल 4 अगस्त तक 9.15 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र तक हो चुकी थी, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 9.12 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले थोड़ी कम है। हालांकि दलहन का रकब 1.07 करोड़ हेक्टेयर है, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.18 करोड़ हेक्टेयर था, क्योंकि अरहर, उड़द और मूंग की खेती में कमी आई है।
एमपीसी ने वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही के लिए मुद्रास्फीति दर 5.7 प्रतिशत के साथ ऊंची रहने का अनुमान जताया है, जबकि पिछला अनुमान 5.4 प्रतिशत था। वहीं चौथी तिमाही के लिए अनुमान 5.2 प्रतिशत पर समान बना हुआ है।
इन सब वजहों से वित्त वर्ष 2024 के लिए औसत मुद्रास्फीति जून की समीक्षा में जताए गए 5.1 प्रतिशत और अनुमान से बढ़कर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। अप्रैल की नीतिगत समीक्षा में यह अनुमान 5.2 प्रतिशत निर्धारित किया गया था।
पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति दर 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान
एमपीसी ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति दर 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसका मतलब है कि समिति को कीमत वृद्धि की रफ्तार अपने 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे नहीं जाने का अनुमान है। यह माना गया कि टमाटर और अन्य
सब्जियों की कीमतों का पूरा प्रभाव पड़ने के बाद उपभोक्ता कीमत सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर जून के 4.81 प्रतिशत के मुकाबले जुलाई में 6 प्रतिशत को पार कर जाएगी। कीमत वृद्धि की दर पहली तिमाही में 4.6 प्रतिशत पर रही, जैसा कि जून में एमपीसी द्वारा अनुमान जताया गया, लेकिन यह अप्रैल के 5.1 प्रतिशत के अनुमान से कम थी।
एमपीसी को उत्पादन कटौती की वजह से तेल कीमतें चढ़ने का अनुमान था, जबकि निर्माण, सेवा प्रदाताओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों द्वारा उत्पादन लागत में नरमी लाने की उम्मीद थी।
एमपीसी ने 2023-24 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। पहली तिमाही के लिए यह वृद्धि 8 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत और तीसरी में 6 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही के लिए 5.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया गया है।