सरकार की नई आयात निगरानी व्यवस्था के तहत लैपटॉप, टेबलेट और अन्य आईटी हार्डवेयर के आयातकों को हर साल नए सिरे से आयात पंजीकरण के लिए आवेदन करना होगा। उद्योग के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। निगरानी तंत्र का उद्देश्य आयातित उत्पादों के उत्पत्ति के देश सहित अन्य जानकारी पहले हासिल करना है।
आयातक विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के आयात पंजीकरण पोर्टल के जरिये पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस मुद्दे पर विदेश व्यापार महानिदेशालय, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा उद्योग के साथ हुई हालिया बैठक में चर्चा की गई थी।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि आयात की मंजूरी 24 से 72 घंटे के अंदर मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि आवेदन खारिज करने की एकमात्र वजह पंजीकरण प्रक्रिया के तहत आईटी उद्योग संगठन नैस्कॉम के इनपुट के मुताबिक उपलब्ध कराई गई अपर्याप्त सूचना होगी।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब लैपटॉप और आईटी हार्डवेयर के आयात पर प्रतिबंध का प्रस्ताव आया है और सरकार ने कहाता कि इसे 1 नवंबर से लागू किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि इस तरह के सामान को लाइसेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा।
इस घोषणा के बाद उद्योग में अफरातफरी की स्थिति बन गई थी और भारत के प्रमुख साझेदारों जैसे ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने भी इसे लेकर चिंता जताई है।
ऐसा माना जा रहा है कि सरकार ने अपना रुख नरम किया है और किसी तरह के आयात प्रतिबंध से दूरी बनाई गई है।
सरकार द्वारा लाइसेंस शब्द का इस्तेमाल किए जाने की संभावना कम है ऐसे में सिर्फ यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके पास घरेलू बाजार में आ रहे आईटी हार्डवेयर के बारे में पहले से सूचना हो।
उद्योग के एक अधिकारी ने नाम न देने की शर्त पर कहा, ‘ उद्योग को सरकार की ओर से छूट का बड़ा संकेत मिला है। अधिकारियों ने साफ किया है कि आयात पर कोई रोक नहीं होगी। साथ ही भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्रों और सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्कों में आयातित वस्तुओं के लिए अलग से पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं होगी।’
बिजनेस स्टैंडर्ड ने इसके पहले खबर दी थी कि सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि अगर आपूर्ति श्रृंखला में अचानक कोई व्यवधान आता है या इन उत्पादों की अनुमान से अधिक जरूरत पड़ जाती है तो आयात प्रबंधन व्यवस्था में मानकों की समीक्षा की पर्याप्त जगह होगी।