प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जलवायु और पर्यावरण को बचाने से जुड़े अभियानों में सबसे आगे रहे हैं, चाहे यह 2019 में महाबलीपुरम में समुद्र तट पर जॉगिंग करते हुए कचरा उठाने का अभियान हो या प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकल करने से बनी सामग्री से बनी आसमानी रंग की ‘सदरी’ जैकेट संसद में पहनकर आना हो।
करूर स्थित टिकाऊ फैशन ब्रांड इकोलाइन क्लोदिंग (इकोलाइन) द्वारा तैयार किए गए, श्री रेंगा पॉलिमर्स का ब्रांड भारत में आईआईटी के छात्रों द्वारा संचालित पॉलीथीन टेरेफ्थेलेट (पीईटी) बोतल, रिसाइक्लिंग और टिकाऊ वस्त्रों में अग्रणी है। कंपनी पीईटी बोतलों को रिसायकल करती है और उन्हें परिधानों जैसे मूल्य वर्धित उत्पादों में अपग्रेड करती है।
तीन महीने से ही श्री रेंगा पॉलिमर्स और इकोलाइन के प्रबंधक साझेदार सेंथिल शंकर की फोन लाइनें लगातार बज रही हैं, क्योंकि तमिलनाडु की कपड़ा राजधानी करूर में रिसाइकल प्लास्टिक से बनी जैकेट को 8 फरवरी को प्रधानमंत्री ने संसद में पहना था।
सेंथिल का कहना है कि जैकेट बनाने के लिए लगभग 20-28 बोतलों का इस्तेमाल किया गया था, जिसकी खुदरा बिक्री 2,000 रुपये में होती है। इकोलाइन का स्वामित्व रखने वाली कंपनी श्री रेंगा पॉलिमर्स अपनी क्षमता दोगुनी करने के लिए तैयार है जिसके तहत प्रतिदिन 15 लाख पीईटी बोतलों से लेकर 45 लाख बोतलों की रिसायक्लिंग रोजाना करनी होगी।
श्री रेंगा पॉलीमर्स की ओर से अगले पांच वर्षों में 250 करोड़ रुपये का निवेश करने की संभावना है, जिसमें से 100 करोड़ रुपये इकाइयों के विस्तार के लिए होंगे शेष 150 करोड़ रुपये मार्केटिंग के लिए होंगे। यह भारत की पहली कंपनी है, जिसके पास इस क्षेत्र में रिसाइक्लिंग से लेकर धागे और फाइबर बनाने के साथ ही मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने की क्षमता है।
शंकर ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के जैकेट पहने जाने के बाद से ही हमसे काफी पूछताछ शुरू हो गई। पश्चिम एशिया और यूरोप के सभी बीस देशों से लोग इसके बारे में जानकारी ले रहे हैं और हम इन देशों में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की प्रक्रिया में हैं।’
प्रधानमंत्री ने इसके लिए मौन स्वीकारोक्ति दी जिसके बाद पूछताछ में तेजी आई और इनमें से 10 प्रतिशत ऑर्डर में तब्दील हो रहे हैं और कंपनी अपने विनिर्माण के दायरे का विस्तार करने की प्रक्रिया में है।
उन्होंने कहा, ‘फिलहाल हम हर महीने 1,000 टन हर महीने जुटा रहे हैं और हर दिन करीब 15 लाख बोतलों को रिसाइकल कर रहे हैं। कुछ वर्षों में यह प्रतिमाह 3,000 टन और 45 लाख बोतलें हो जाएगी।’
उद्योग बेंचमार्क के अनुसार, प्रतिमाह 1,000 टन रिसाइक्लिंग का पूरा तंत्र बनाने के लिए 120 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है। शंकर का कहना है, ‘हम केवल ऑनलाइन उपलब्ध हैं। कंपनी का दिल्ली, बेंगलूरु, चेन्नई, दुबई और अमेरिका में एक गोदाम हैं।’
कचरे से बड़ी कमाई का सफर
इस प्रक्रिया के तहत बोतलों को इकट्ठा करने के साथ क्रमबद्ध किया जाता है और उनका कैप और लेबल हटा दिए जाते हैं। फिर उन्हें कुचल कर, साफ करने के साथ ही 10-चरणों वाली प्रक्रिया के तहत रिसाइकल करने के साथ ही साफ किया जाता है। इन गुच्छे को फिर से गर्म किया जाता है और पॉलिएस्टर स्टेपल फाइबर में बुना जाता है।
इस फाइबर को धागे में काटा जाता है। धागे की बुनाई कर पॉलिएस्टर कपड़ा बनाया जाता है जिससे परिधान बन जाता है। कंपनी का दावा है कि उसके 90 फीसदी उत्पादों की कीमत 10 डॉलर से कम है और एक टी-शर्ट बनाने में छह बोतल लगती हैं।