इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मंगलवार को आयात लाइसेंसिंग नीति से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा के लिए पीसी, टैबलेट और लैपटॉप के मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के साथ बैठक किए जाने की संभावना है। इन उत्पादों के लिए पिछले सप्ताह आयात लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की गई थी।
इस मामले से अवगत सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि एमईआईटीवाई द्वारा वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों – डेल, एचपी और ऐपल समेत घरेलू अनुबंध निर्माताओं (जो इन कंपनियों को स्थानीय उत्पाद एसेंबलिंग क्षमता मुहैया कराते हैं) के साथ दो अलग अलग बैठकें किए जाने की संभावना है।
स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने के प्रयास में सरकार ने गुरुवार को लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कम्प्यूटर के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की जिससे कम्प्यूटर की सबसे बड़ी निर्माताओं डेल, एचपी और ऐपल को बड़ा झटका लगा। छोटे टैबलेट, लैपटॉप और ऑल-इन-वन पीसी समेत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के आयात के लिए वैध लाइसेंस की जरूरत होगी।
नई सूचना के अनुसार, आयात खेपें 31 अक्टूबर, 2023 तक प्रतिबंधित आयात के लिए बगैर लाइसेंस के लिए पूरी की जा सकेंगी। भले ही पीसी आयात के संदर्भ में लाइसेंसिंग प्रक्रिया में तीन महीने की मोहलत से ओईएम को कुछ राहत मिली है, लेकिन पीसी निर्माताओं का कहना है कि यह रियायत उनकी आपूर्ति श्रृंखलाएं देश में स्थानांतरित करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है।
एक बड़े पीसी निर्माता के अधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘एक तरफ जहां उन्होंने आईटी हार्डवेयर पीएलआई की पेशकश की है, जिससे कंपनियों को देश में निर्माण परिचालन शुरू करने की अनुमति मिली है। वहीं दूसरी तरफ, बेहद संक्षिप्त तीन महीने की रियायत के साथ सरकार सख्ती बरत रही है।’
उन्होंने कहा, ‘देश में निर्माण शुरू करने को इच्छुक कंपनियों के लिए, उन्हें या तो प्रतिबंध से अलग रखने या निर्माण इकाई लगाने के लिए ज्यादा समय की अनुमति देने की जरूरत हागी। किसी संयंत्र को स्थापित करने में उसके आकार के आधार पर करीब 8-9 महीने लगते हैं। सिर्फ तीन महीने में निर्माण शुरू करना उपयुक्त नहीं है।’
ओईएम द्वारा आयात कोटे पर भी हालात स्पष्ट किए जाने की मांग की जा सकती है। पीसी के लिए मांग आगामी त्योहारी सीजन से पहले बढ़ सकती है। आयात से जुड़े उपकरणों की मात्रा पर सीमा तय करने से कई निर्माताओं के कार्य में रुकावट पैदा होगी।
इस तरह की सख्ती से एचपी, डेल और लेनोवो जैसी ओईएम पर अनुपालन बोझ बढ़ सकता है, जो भारत में अपने निर्माण संयंत्र होने के बावजूद कलपुर्जा आयात पर निर्भर करती हैं। जरूरी आयात लाइसेंस की संभावना तलाशने वाली कंपनियों को खेपों के मूल, उत्पादों की संख्या और पिछले आयात रिकॉर्ड के संदर्भ में ज्यादा विवरण पेश करने की जरूरत होगी, जिससे डिवाइस खरीद प्रक्रिया में अतिरिक्त अनुपालन बोझ बढ़ जाएगा।
सरकार का मानना है कि आईटी उत्पादों के आयात के लिए लाइसेंसिंग जरूरत पेश करने का मकसद भारत में सिर्फ भरोसेमंद और सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ही अनुमति देना है।