Chatgpt की आधिकारिक रूप से शुरुआत 30 नवंबर, 2022 को हुई और यह काफी तेजी से लोकप्रिय हो गई। फिलहाल एक सप्ताह में 10 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। अन्य आधा दर्जन कंपनियों ने बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए इसी तरह के एआई चैटबॉट जारी किए हैं।
कई विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस या एआई के खतरों पर चर्चा की है। इसमें यह प्रस्ताव रखा गया कि एआई की रफ्तार को धीमा किया जाए और इसमें छह महीने तक विकास को स्थगित करने की बात भी रखी गई। हालांकि इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
नवंबर 2023 में एआई सुरक्षा शीर्ष सम्मेलन के ब्लेचली घोषणापत्र को संयुक्त बयान के रूप में जारी किया गया।इस शिखर सम्मेलन में भारत सहित कई देशों ने भाग लिया। तकनीकी रूप से उन्नत देशों में रूस ही अनुपस्थित था।
इस सम्मेलन के घोषणापत्र में कहा गया, ‘हम सबको साथ लेकर काम करने का संकल्प जताते हैं ताकि एआई मानव-केंद्रित, भरोसेमंद और जिम्मेदार रहे और यह सुरक्षित होने के साथ मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मंचों और अन्य प्रासंगिक पहलों के जरिये सभी की भलाई का समर्थन करे ताकि एआई द्वारा पैदा किए गए जोखिमों की व्यापक श्रृंखला का समाधान निकालने के लिए सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके।’
इस घोषणापत्र को विनम्र तरीके ‘आधुनिक तकनीकी मानकों के अनुरूप नहीं’ कहा जाएगा। इसे सटीक तरीके से एक कूटनीतिक बयान ही कहा जा सकता है। इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वाले भी पूरी तरह से जानते हैं कि इन घोषणाओं को लागू नहीं किया जा सकता है। दिलचस्प बात यह भी है कि वे सभी एआई अनुसंधान और डिजाइन (आरऐंडडी) को तेजी से प्रोत्साहित कर रहे हैं।
भारत ने ‘सभी के लिए एआई’ का नारा दिया है और यह आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के लिए वैश्विक साझेदारी (जीपीएआई) योजना का हिस्सा है। सरकार के पास कई एआई कार्यसमूह हैं और आंकड़े की क्षमता 15 गुना बढ़ाने के लिए तीन-स्तरीय कंप्यूटर बुनियादी ढांचा स्थापित करने की सिफारिशें की जा रही हैं।
इसके अलावा कंपनी जगत और शैक्षणिक-कॉरपोरेट पहलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। एनवीडिया का रिलायंस जियो और टाटा ग्रुप के साथ करार है। वहीं आईबीएम ने एआई नवाचार में तेजी लाने के लिए सरकारी संस्थाओं के साथ तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसके अलावा सेमीकंडक्टर मिशन का मकसद ही बेहतर गुणवत्ता वाली विनिर्माण क्षमता को तैयार करना है। आईआईटी मद्रास का सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल एआई (सीईआरएआई) आरऐंडडी में एरिक्सन के साथ साझेदारी करेगा।
इन पहलों के आर्थिक पहलू भी आकर्षक हैं। नैसकॉम का अनुमान है कि एआई दो या तीन साल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 12-13 प्रतिशत या लगभग 450-500 अरब डॉलर का योगदान दे सकता है। अन्य देशों के भी इसी तरह के अनुमान हैं। इस तरह की गणना वास्तव में एआई तक नागरिकों की पहुंच के आधार पर की जाती है। अगर हम रक्षा से संबंधित ऐप्लिकेशन को देखते हैं, तब एआई का प्रभाव और भी अधिक होगा।
इस घोषणापत्र और सभी सार्वजनिक आशंकाओं के बावजूद कंपनी जगत की कोई भी इकाई और कोई भी देश इस सुनहरे अवसर से दूर नहीं हो सकता है या पीछे छूट जाने के डर से जानबूझकर आरऐंडडी की रफ्तार कम नहीं कर सकते है।
अन्य क्षेत्रों के लिए जोखिम से जुड़े पहलुओं पर गौर किया जाता है, लेकिन वैश्विक मंदी के बावजूद एआई की फंडिंग में वृद्धि हुई है। वैश्विक स्तर पर, एआई स्टार्टअप ने जनवरी और सितंबर 2023 के बीच 2000 से अधिक करार के साथ 50 अरब डॉलर से अधिक राशि जुटाई है। सितंबर के अंत तक 120 एआई यूनिकॉर्न थीं।
हालांकि एआई क्षेत्र की क्रांति अब भी प्रारंभिक चरण में ही मानी जा सकती है। कई वर्षों तक इसमें काफी महत्त्वपूर्ण खोज होगी। अगर क्वांटम कंप्यूटिंग में समान स्तर पर सफलताएं देखी जा रही हैं तब प्रोसेसिंग की रफ्तार को और तेज करते हुए हमें संभावित फायदे का वर्णन करने के लिए नए जुमले गढ़ने की आवश्यकता होगी।
वर्ष 2030 तक और संभवतः इससे भी पहले ही सभी बुनियादी ढांचे और संबंधित ऐप्लिकेशंस एआई द्वारा संचालित होने लगेंगे। इसमें पावर ग्रिड, दूरसंचार नेटवर्क, राजमार्ग प्रणाली, बंदरगाह, मेट्रो, हवाई अड्डे, शहर की ट्रैफिक लाइट, उपग्रह नेटवर्क, नगरपालिका जल आपूर्ति भी शामिल हैं। एआई का इस्तेमाल स्वास्थ्य सेवा, दवा अनुसंधान, कानून प्रवर्तन, खुदरा, वित्तीय प्रणालियों, स्वचालित कारों में भी व्यापक तौर पर होगा।
एआई स्वायत्त हथियार प्रणालियों, रोबोटिक वाहनों, युद्ध सामग्री डिजाइन और इसी तरह की चीजों के साथ जुड़कर रक्षा से जुड़े ऐप्लिकेशन पर भी लगभग पूरी तरह दबदबा बना सकता है। इस क्षेत्र से मिलने वाली कीमत इतना ज्यादा हो सकती है कि मुमकिन है कि खतरों को अनदेखा कर दिया जाए।
हालांकि हम पहले से ही इसके कुछ नकारात्मक पहलुओं पर गौर कर सकते हैं। एआई, चेहरे की पहचान से लेकर व्यापक डेटा की तुलना करने की अपनी क्षमता के साथ-साथ, सरकारों को सभी नागरिकों का पूर्ण ब्योरा चौबीस घंटे दे सकता है, जिससे सत्तावादी शासन के खिलाफ असंतोष जाहिर करना और मुश्किल हो सकता है। ऐसा लगता है कि चीन और भारत दोनों ही इस पर दांव लगा रहे हैं।
यह ऐसे ड्रोन को ताकत दे सकता है जो मानव हस्तक्षेप के बिना लक्ष्य की पहचान कर सकता है और निशाना साध सकता है। आवाजों और चेहरे की क्लोनिंग कर यह बिल्कुल प्रामाणिक लगने वाली फर्जी खबरें देने के साथ ही लोगों को धोखा दे सकता है या सुरक्षा व्यवस्था को दरकिनार कर सकता है।
यह पूर्वग्रहों को कायम रख सकता है और संभव है कि मौजूदा डेटा पर प्रशिक्षित एल्गोरिद्म यह सिफारिश करें कि केवल पुरुषों को एसटीईएम छात्रवृत्ति मिले और केवल उच्च जाति के लोगों को बैंक ऋण मिले। यदि एआई का इस्तेमाल परमाणु मिसाइल प्रणालियों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है (यह होगा ही या यह पहले से ही हो सकता है), तो यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंचाने का कारण भी बन सकता है जैसी कि कुछ लोगों ने चेतावनी भी दी है।
एआई से जुड़े जोखिमों से बचने के उपायों एवं तरीकों पर उतनी तेजी से काम नहीं हो रहा, जितनी तेजी से इसका विकास हो रहा है। ऐसे में हम अब सिर्फ यह उम्मीद ही कर सकते हैं कि हमें बड़े नुकसान से बचाने के उपाय जल्दी ही किए जाएंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तब विलियम गिब्सन और नील स्टीफेंसन जैसे लेखकों ने जो बुरी भविष्यवाणियों की बात की थी, उसे नकारा नहीं जा सकेगा।