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नए फार्मा उत्पादों के लिए बाजार में पैठ मुश्किल

भारतीय फार्मा बाजार (आईपीएम) में काबिज 54,355 ब्रांडों में से केवल 30 प्रतिशत का ही कुल कारोबार एक करोड़ था।

Last Updated- August 14, 2023 | 12:37 AM IST
The India Story: The journey of becoming ‘the pharmacy of the world’ ‘दुनिया का दवाखाना’ बनने का सफर

फार्मा कंपनियां घरेलू दवा बाजार में अच्छी रफ्तार से नए उत्पाद पेश कर रही हैं, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र (रोग समूहों) में निवेश पर प्रतिफल एक चुनौती है। बाजार अनुसंधान फर्म फार्मारैक अवाक्स के हालिया विश्लेषण से यह जानकारी मिली है।

फार्मारैक अवाक्स की उपाध्यक्ष (वाणिज्यिक) शीतल सापले ने कहा कि आम तौर पर कंपनियां किसी नए ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए ब्रांड की नियोजित वार्षिक बिक्री का लगभग 30 से 40 प्रतिशत खर्च करती हैं। पुराने ब्रांडों के मामले में यह खर्च कम होकर ब्रांड की वार्षिक नियोजित बिक्री का लगभग 10 से 12 प्रतिशत तक आ गया है।

हालांकि उन्होंने बताया कि भारतीय फार्मा बाजार (आईपीएम) में काबिज 54,355 ब्रांडों में से केवल 30 प्रतिशत का ही कुल कारोबार एक करोड़ था और केवल सात प्रतिशत ब्रांडों का कुल वार्षिक कारोबार जुलाई में 10 करोड़ रुपये से अधिक था।

पिछले 24 महीने में 2,777 नए उत्पादों की शुरुआत में से केवल 15 प्रतिशत ही एक करोड़ रुपये से ज्यादा का कुल कारोबार कर पाए और केवल एक प्रतिशत का ही कुल कारोबार पांच करोड़ रुपये से ज्यादा का है।

विश्लेषण से पता चला है कि शीर्ष 10 खंडों में से कार्डियोलॉजी, मधुमेह रोधी और स्त्री रोग जैसे खंडों में ही एक करोड़ और 10 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले ब्रांडों का प्रतिशत अपेक्षाकृत बेहतर था। लगभग 42 प्रतिशत कार्डियोलॉजी ब्रांडों का कुल कारोबार एक करोड़ रुपये से अधिक था, जबकि 12 प्रतिशत ब्रांडों का कुल कारोबार 10 करोड़ रुपये से अधिक था। मधुमेह रोधी खंड में भी यह अनुपात इस तरह का है।

ऐसे समय में ब्रांडों के बीच प्रतिस्पर्धा का स्तर अधिक है, जब घरेलू फार्मा बाजार में वॉल्यूम वृद्धि की रफ्तार धीमी है। पिछले चार महीने से वॉल्यूम वृद्धि ऋणात्मक क्षेत्र में है। वर्ष 2022 के पांच महीने वॉल्यूम वृद्धि ऋणात्मक थी।

First Published - August 14, 2023 | 12:37 AM IST

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