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Loksabha Elections: आम चुनाव से पहले पांच राज्यों में होने हैं विधानसभा चुनाव

मिजो नैशनल फ्रंट (एमएनएफ) केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रमुख गठबंधन है, हालांकि मिजोरम में पार्टी का इस भगवा दल से कोई वास्ता नहीं है।

Last Updated- August 24, 2023 | 6:15 PM IST
Lok Sabha Elections

साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक दलों के लिए क्या है राजनीतिक समीकरण, चुनौतियां और डर? आदिति फडणीस ने नीति, राजनीति और हाल की घटनाओं के प्रभाव का पड़ताल किया…

मिजोरम (40 सीटें, बहुमत के लिए जरूरीः 21 सीट)

मौजूदा विधानसभा का आखिरी दिनः 17 दिसंबर, 2023 सत्ताधारी दलः जोरमथांगा के नेतृत्व वाला मिजो नैशनल फ्रंट ईसाई बहुल राज्य अपनी सीमा अशांत मणिपुर से साझा करता है और कभी भूमिगत नेता लालडेंगा के लेफ्टिनेंट रहने वाले यहां के 78 वर्षीय नेता जोरमथांगा हमेशा इस पर जोर देते हैं कि उनके राज्य को सावधानीपूर्वक चलना होगा।

मणिपुर से कुकी शरणार्थियों का आना राज्य पर अस्थिर प्रभाव डाल सकता है।

मिजो नैशनल फ्रंट (एमएनएफ) केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रमुख गठबंधन है, हालांकि मिजोरम में पार्टी का इस भगवा दल से कोई वास्ता नहीं है।

40 सदस्यों वाले विधानसभा में एमएनएफ के 28 विधायक हैं, जोरम पीपुल्स मूवमेंट के छह, कांग्रेस के पांच और भाजपा के एक विधायक हैं।
जोरमथांगा ने कहा है कि कांग्रेस अब एमएनएफ के लिए मजबूत प्रतिद्वंद्वी और खतरा नहीं है क्योंकि पार्टी ने केंद्र, पूर्वोत्तर और मिजोरम में अपना प्रभाव खो दिया है।

छत्तीसगढ़ (90 सीटें, बहुमत के लिए जरूरीः 46)

मौजूदा विधानसभा का अंतिम दिनः 3 जनवरी, 2024
सत्तारूढ़ दलः भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस साल 2018 में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को करारी शिकस्त दी थी। कांग्रेस यहां 68 सीटों पर जीतकर भाजपा के लिए महज 15 सीटें छोड़ी थी। तब से भाजपा काम नहीं कर पाई है और भूपेश बघेल ने राज्य और पार्टी दोनों में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।

पिछले चुनाव में पांच सीटें जीतने वाली जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ अब इस बार कमजोर स्थिति में है और बहुजन समाज पार्टी अपनी वफादारी के मामले में लचीली साबित हो रही है।

बघेल ने कल्याणकारी एजेंडों को आगे बढ़ाया है, लेकिन वर्तमान में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही शराब घोटाले सहित कई भ्रष्टाचार मामलों ने उनकी सरकार की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है।

हालांकि उन्हें अपने सहयोगी त्रिभुवनेश्वर सरन सिंह देव से ही गतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश (230 सीटें, बहुमत के लिए जरूरीः116)

मौजूदा विधानसभा का आखिरी दिनः 6 जनवरी, 2024

सत्तारूढ़ दलः शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी

साल 2018 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने पार्टी को राज्य में जीत दिलाई थी। बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों को भाजपा में शामिल करके सरकार गिराने में कामयाबी हासिल की।

इससे थोड़ी देर के लिए भाजपा में भी तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। उदाहरण के लिए, भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर भी सिंधिया के इलाके से ही आते हैं और कई दशकों तक एक-दूसरे के धुर विरोधी रहने के बाद अब उन्हें एक साथ ही चुनाव लड़ना होगा।
हालांकि, कांग्रेस और कमलनाथ ने इस चुनाव को एक करो या मरो का संघर्ष बना दिया है। नाथ के लिए यह चुनाव इतना महत्त्वपूर्ण है कि जब उन्हें पार्टी प्रमुख बनाने पेशकश की गई तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि कांग्रेस के पास राज्य में सत्ता में आने का एक और मौका है।

आदिवासी आबादी का मतदान किस ओर रहेगा यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा। कांग्रेस या भाजपा, जिसे भी आदिवासी समाज का वोट मिलेगा उस दल को फायदा मिलने की उम्मीद है।

राजस्थान (200 सीटें, बहुमत के लिए जरूरीः 101)

मौजूदा विधानसभा का आखिरी दिनः 14 जनवरी, 2024

सत्तारूढ़ दलः अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस

इस बार अशोक गहलौत दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। पहला राज्य में पारंपरिक ज्ञान को गलत साबित करना कि विधानसभा चुनाव ऐसा दरवाजा है जो विपक्ष में पार्टी के पक्ष में है और दूसरा यह सुनिश्चित करना कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की संगठनात्मक ताकत और कौशल कांग्रेस के कुछ हद तक गुटबाजी वाले ढांचे के खिलाफ काम न करें। बहुजन समाजवादी पार्टी, भारतीय ट्राइबल पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल जैसी छोटी पार्टियां भी इस बार मैदान में हैं।

प्रदेश के बड़े कांग्रेस नेता सचिन पायलट को भी दिया गया आश्वासन पूरा नहीं किया गया। लिहाजा, जहां चुनाव में कांग्रेस भाजपा से लड़ेगी, वहीं एक तरह से वह खुद से भी लड़ रही होगी।

भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में अब तक किसी का नाम तय नहीं किया है। पार्टी अभी भी अपनी रणनीति पर काम कर रही है। फिर भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत के साथ-साथ नए पदोन्नत किए गए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी इस बार चुनावी मैदान में हैं। इससे इस बार के चुनावी परिणाम दिलचस्प हो सकते हैं।

तेलंगाना (119 सीटें, बहुमत के लिए जरूरीः60)

मौजूदा विधानसभा का आखिरी कार्यदिवसः 16 जनवरी, 2024

सत्तारूढ़ दलः के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति
इस बार के विधानसभा चुनाव में असल परीक्षा भारत राष्ट्र समिति (पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति) के बजाय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए होगी। साल 2018 के चुनाव में महज एक सीट जीतने वाली पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव और कई उपचुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर कई सीटों पर जीत दर्ज की है।

करिश्माई वक्ता माने जाने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने बड़े पैमाने पर कल्याणकारी एजेंडे को आगे बढ़ाया है और पहले उन्होंने राष्ट्रीय महत्त्वाकांक्षाओं के साथ शुरुआत की थी, जिसे अब उन्होंने त्याग दिया है।

राव की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ एक मजबूत गठबंधन है। यह पार्टी पुराने हैदराबाद में काफी मजबूत स्थिति है। के चंद्रशेखर राव अब औपचारिक रूप से सत्ता की बागडोर अपने बेटे कल्वाकुंतला तारक रामा राव को सौंपना चाह रहे हैं।

हालांकि, उनकी बेटी कल्वाकुंतला कविता के खिलाफ दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में उनकी भूमिका के लिए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही है, जिसमें तेलंगाना के कई शराब कारोबारी शामिल हैं। कविता की नजरबंदी का इस बार के चुनाव परिणाम पर अप्रत्याशित प्रभाव पड़ सकता है।

First Published - June 11, 2023 | 11:31 PM IST

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