इजरायल-हमास युद्ध के बीच पूरे पश्चिम एशिया में तनाव की स्थिति बन गई है। ऐसे में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनियां भी काफी सतर्कता बरत रही हैं।
हालांकि इजरायल और फलस्तीन आईटी कंपनियों के लिए उतने अहम नहीं हैं लेकिन पश्चिम एशिया एक केंद्र के रूप में उभर रहा है और इस तरह की किसी भी विपरीत परिस्थिति से मौजूदा और संभावित कारोबार की संभावनाओं पर प्रभाव पड़ सकता है। बेंगलूरु की आईटी कंपनी विप्रो के करीब 80 कर्मचारी इजरायल में रहते हैं और सभी वहीं के नागरिक हैं।
विप्रो ने इस मुद्दे पर बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवालों के जवाब में कहा, ‘हम वहां के सभी कर्मचारियों को यह सलाह दे रहे हैं कि अगले नोटिस तक घर से ही काम करें और स्थानीय सरकार के सुरक्षा उपायों पर अमल करें। हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं और अगर घटनाक्रम बिगड़ते हैं तो उस स्थिति के लिए भी हम कारोबार की सक्रियता बढ़ाने के लिए तैयार हैं।’
विप्रो पश्चिम एशिया के राजस्व को अलग करके नहीं देखती हैं और एपीएमईए (एशिया प्रशांत, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) कारोबार ने वित्त वर्ष 2023 के दौरान 11.8 फीसदी का योगदान दिया।
विप्रो के सीईओ थिएरी डेलापोर्ट ने पहली तिमाही की कमाई के दौरान कहा कि एपीएमईए कारोबार के लिए कुल अनुबंध वैल्यू के लिहाज से बुकिंग काफी अच्छी दिख रही है और तिमाही वृद्धि 23 फीसदी है। एपीएमईए में भारतीय कारोबार में 7 फीसदी की वृद्धि हुई और पश्चिम एशिया के कारोबार में पहली तिमाही के दौरान सालाना 6.4 फीसदी की वृद्धि हुई।
वर्ष 2016 में विप्रो इन्फ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग ने धातु वाले कलपुर्जों की आपूर्ति करने और एरोस्पेस उद्योग एसेंबली से जुड़ी इजरायल की कंपनी एचआर गिवॉन का अधिग्रहण नकदी देकर किया। इस अधिग्रहण का मकसद इसके उत्पाद पोर्टफोलियो के दायरे का विस्तार करते हुए वैश्विक मौजूदगी बढ़ानी थी ताकि विमानन और एरोस्पेस उद्योग की क्षमता मजबूत की जा सके।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के वित्त वर्ष 2023 के कुल कारोबार में पश्चिम एशिया और अफ्रीका की हिस्सेदारी 1.5 फीसदी है। उभरते बाजारों की बात करें तो लातिन अमेरिका में 24.8 फीसदी, भारत में 14.9 फीसदी, पश्चिम एशिया और अफ्रीका में 12.5 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि एशिया-प्रशांत में 7.1 फीसदी की वृद्धि हुई। पश्चिम एशिया और अफ्रीका का राजस्व इस वित्त वर्ष के लिए 4,283 करोड़ रुपये है।
वर्ष 2013 में टीसीएस ने रियाद में महिलाओं पर आधारित बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (बीपीएम) केंद्र की शुरुआत की जिसका लक्ष्य तीन सालों में विस्तार कर कर्मचारियों की संख्या 3,000 तक करनी थी। कंपनी ने तब एक बयान में कहा था कि इस केंद्र के लिए सऊदी अरामको और जीई पहले ग्राहक थे।
टीसीएस की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक कंपनी के यूएई, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका में 9,000 कर्मचारी हैं और यह 150 से अधिक क्लाइंट के साथ काम करती है। वहीं इन्फोसिस ने 2013 में इजरायल सरकार के साथ करार किया था ताकि औद्योगिक शोध एवं विकास में सहयोग बढ़ाया जाए।
विश्लेषकों का मानना है कि युद्ध का प्रभाव सीमित होगा क्योंकि आईटी कंपनियों की इजरायल या पश्चिम एशिया में उतनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति नहीं है।
एक प्रमुख ब्रोकिंग कंपनी के साथ जुड़े एक आईटी विश्लेषक ने कहा, ‘वहां बाजार और टीम के हिसाब से आईटी कंपनियों की उतनी मौजूदगी नहीं हैं। ऐसे में युद्ध का असर न्यूनतम होगा। लेकिन पश्चिम एशिया एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और अगर लंबी अवधि में युद्ध की स्थिति बरकरार रहती है तब इसका विपरीत असर हो सकता है।’
सियाना कैपिटल के आईटी सलाहकार और संस्थापक सिड पई कहते हैं, ‘हमास का पूरा काम गाजा पट्टी से होता है और इजरायल के साथ इसके संघर्ष का लंबा इतिहास है, ऐसे में इसका प्रभाव अरब-इजरायल विवाद के मुकाबले ज्यादातर स्थानीय होगा। इसका प्रभाव तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के तौर पर देखा जाएगा और खरीदारों के संकोच का असर भी पड़ सकता है। लेकिन अगर युद्ध की रफ्तार और बढ़ती है तब हालात मुश्किल होंगे।’
नोएडा के एचसीएलटेक की भी पश्चिम एशिया में मौजूदगी है। वर्ष 2017 से ही एचसीएल टेक के लिए यह अहम क्षेत्र है। पश्चिम एशिया में एचसीएल टेक की मौजूदगी यूएई, सऊदी अरब, ओमान और बहरीन की है। प्रत्येक देश की क्षेत्रीय इकाई भारत के मुख्यालय को रिपोर्ट करती हैं। क्षेत्र में कंपनी के 50 से अधिक क्लाइंट हैं और इस क्षेत्र में करीब 700 से अधिक पेशेवरों को नौकरी मिली हुई है।
जोहो के सीईओ श्रीधर वेम्बु ने कहा कि इस युद्ध का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ सकता है ऐसे में कंपनी की वृद्धि योजना भी प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘हालात बेहद चिंताजनक है और इस वक्त हम किसी भी तरह की वृद्धि का कोई अनुमान नहीं लगा सकते हैं।’ पहले इस साल जोहो ने यूएई में विस्तार के लिए करीब 2.72 करोड़ डॉलर के निवेश की योजना बनाई थी।
आईटी की औद्योगिकी संस्था नैसकॉम ने इजरायल पर आतंकी कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, ‘भारत का तकनीक उद्योग इजरायल के साथ अपनी साझेदारी को अहमियत देता है और हम नवाचार केंद्र के तौर पर अपने सहयोग के दायरे को और मजबूत करेंगे।’