लंबी अवधि के डेट फंडों ने पिछले एक साल में अच्छा प्रदर्शन किया है। इस श्रेणी के फंडों का औसत रिटर्न 7.7 फीसदी रहा है। गिल्ट फंड (इनकी अवधि में बहुत अंतर हो सकता है) ने 7 फीसदी रिटर्न दिया और 10 साल की अवधि वाले गिल्ट फंडों का रिटर्न 6.6 फीसदी रहा। ऐसा रिटर्न देखकर निवेशक इनमें पैसा लगाने दौड़ सकते हैं मगर सबसे पहले उन्हें इन डेट फंडों के बारे में ठीक से समझ लेना चाहिए।
अभी करें निवेश?
विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर विकसित और उभरते बाजारों में दर बढ़ोतरी का सिलसिला खत्म होने को है। एक-दो बड़े केंद्रीय बैंक दर घटाना शुरू करने ही वाले हैं।
निप्पॉन इंडिया म्युचुअल फंड में सीनियर फंड मैनेजर (फिक्स्ड इनकम) प्रणय सिन्हा कहते हैं, ‘वैश्विक माहौल में अनिश्चितता होने के कारण पिछले कुछ हफ्तों में इन फंडों में भी कुछ हद तक अनिश्चितता आ गई है। इसलिए हम निवेशकों को लंबी अवधि के लिए रकम लगाने से पहले 1-2 महीने इंतजार करने की सलाह देंगे ताकि हाल-फिलहाल होने वाली उठापटक की चोट से वे बच सकें।’
पूंजीगत लाभ का मौका
लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर इन फंडों से ज्यादा रिटर्न मिल सकता है क्योंकि वे लंबे अरसे बाद परिपक्व होने वाले बॉन्डों में निवेश करते हैं। इन बॉन्डों पर ब्याज की दर आम तौर पर ज्यादा ही होती है। इस समय ब्याज दरें या तो चोटी पर पहुंच चुकी हैं या पहुंचने वाली हैं, इसलिए इन फंड की परिपक्वता पर मिलने वाला प्रतिफल या यील्ड टु मैच्योरिटी (वाईटीएम) भी अधिक है। इस लिहाज से निवेशकों के लिए इनमें रकम लगाने का यह अच्छा मौका है।
सिन्हा कहते हैं, ‘जब भी दरों में कटौती शुरू होती है, निवेशक लंबी अवधि के फंडों में अपने निवेश से पूंजीगत लाभ कमा सकते हैं।’ प्लानयोरवर्ल्ड डॉट कॉम के संस्थापक विप्लव मजूमदार का कहना है कि खुदरा निवेशकों को सही समय पर निवेश करने और निकलने के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए।
उतार-चढ़ाव वाली श्रेणियां
इन फंडों में रकम लगा रहे हैं तो उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहें। दरें बढ़ती हैं तो इनका शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) तेजी से गिर जाता है। दरों में कटौती की तस्वीर भी साफ नहीं है। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव समझाते हैं, ‘भारतीय रिजर्व बैंक ने दरें नहीं बढ़ाईं इसका मतलब यह नहीं है कि दरें घटने ही लगेंगी। महंगाई बढ़ती जाएगी तो केंद्रीय बैंक फिर दरें बढ़ा सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज बढ़ाता रहा तो रिजर्व बैंक भी मजबूर हो जाएगा।’
दरों में कटौती अभी दूर की बात है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के एक सर्वेक्षण में 10 में से 7 भागीदारों का यही कहना है कि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही दरें घट सकती हैं।
कौन निवेश करे
आपके अंदर जोखिम की भूख है तो इन फंडों में रकम लगाएं। खरीदकर निवेश बनाए रखने वाले निवेशक भी इनका रुख कर सकते हैं बशर्ते 7 से 10 साल के लिए निवेश करना है और उठापटक से घबराना नहीं है। राघव के मुताबिक लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर प्रतिकूल दरों के नुकसान की भरपाई ब्याज से हो जाती है।
कौन रहे दूर
मजूमदार की सलाह है कि जोखिम से परहेज करने वालों को इन फंडों से एकदम दूर रहना चाहिए। राघव आगाह करते हुए कहते हैं कि कभी-कभी प्रतिफल नकारात्मक भी हो सकता है यानी पैसा डूबता भी लग सकता है। इसलिए जोखिम को समझने वाले या बहुत कम अवधि के लिए रकम लगाने वाले इससे एकदम दूर रहें।
ध्यान रखें ये बातें
लंबी अवधि के फंड कॉरपोरेट बॉन्ड और गिल्ट दोनों में निवेश कर सकते हैं। इस श्रेणी में निवेश करना ही है तो वह फंड चुनें, जिसमें क्रेडिट का ज्यादा जोखिम नहीं हो। सिन्हा की राय में सरकारी या एएए बॉन्ड में लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले फंड सही हैं। गिल्ट फंड में निवेश करने से पहले समझ लें कि फंड प्रबंधक ब्याज दर से जुड़ा कितना जोखिम लेता है।
मजूमदार के हिसाब से लंबी अवधि के लिए निवेश करने वालों को ऐसा टारगेट मैच्योरिटी फंड देखना चाहिए, जो गिल्ट में निवेश करता हो। ऐसे फंड परिपक्वता अवधि पूरी करने पर लगभग तयशुदा प्रतिफल देते हैं। डेट फंड पर अब एफडी जितना ही कर लगता है, इसलिए राघव की राय में एफडी के रिटर्न को डेट फंड की वाईटीएम से तुलना कर देख लें कि कौन ज्यादा फायदेमंद है।