विश्लेषकों का मानना है कि एफएमसीजी क्षेत्र में आ रहे सुधार से उत्साहित होना अभी जल्दबाजी हो सकती है, क्योंकि त्योहारी सीजन के बाद डिस्क्रेशनरी मांग में गिरावट आने से ग्रामीण मांग वृद्धि की रफ्तार कमजोर पड़ सकती है।
सिस्टमैटिक्स रिसर्च ने हिमांशु नायर ने राजेश मुदालियार और चेतन महादिक के साथ मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट में कहा है, ‘स्टैपल्स के लिए कुल मांग परिवेश सुस्त बना हुआ है, जबकि डिस्क्रेशनरी मांग का रुझान त्योहारी सीजन के बाद कुछ कमजोर पड़ा है। हमारा मानना है कि स्टैपल्स में मार्जिन सुधरा है, लेकिन हमें कच्चे माल की कीमतों में मौजूदा नरमी के साथ सिर्फ धीमी गति से सुधार आने की संभावना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कंपनियों ने असंगठित क्षेत्र की कंपनियों से अपनी बाजार भागीदारी सुरक्षित बनाने के लिए कीमत कटौती शुरू की है, और साथ ही उन्हें विपणन खर्च भी बढ़ाना होगा, जो पिछले कुछ वर्षों से कम बना हुआ है।’
ग्रामीण इलाकों में कंज्यूमर स्टैपल्स की मांग दिसंबर तिमाही के बाद के हिस्से में सुधरी, क्योंकि कच्चे माल की कीमत से संबंधित दबाव घटा है। इसके अलावा, पारिश्रमिक वृद्धि मुद्राफीति से ज्यादा रहने, बेरोजगारी दर में कमी, और बोआई तथा ट्रैक्टर बिक्री से भी मजबूत रुझानों का पता चलता है।
हालांकि नूवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अबनीश रॉय का मानना है कि भले ही पिछले साल मॉनसून अच्छा रहा, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति से संबंधित आंकड़ा ज्यादा आबादी वाले चार राज्यों बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल और झारखंड के हालात से अलग है।
उन्होंने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘ग्रामीण बाजारों में कमजोर वृद्धि मुख्य रूप से वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में शुरू की ग्रामीण मंदी की वजह से दर्ज की गई थी। ग्रामीण रोजगार बाजार में सुधार दिख रहा है, लेकिन अभी यह शुरुआत है और इसमें निरंतरता जरूरी है।’
रिटेल इंटेलीजेंस फर्म बिजोम के आंकड़े से पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों से मांग दिसंबर में मासिक आधार पर 0.2 प्रतिशत घटी, जबकि नवंबर में इसमें 17 प्रतिशत कमजोरी आई थी। हालांकि कुल मांग मासिक आधार पर 1.4 फीसदी तक बढ़ी है।
अपने तिमाही अपडेट में, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, डाबर और मैरिको ने कमजोर ग्रामीण खपत और त्योहारी सीजन के बाद बिक्री में आई गिरावट की वजह से दिसंबर तिमाही में सुस्त वृद्धि दर्ज की।
डिस्क्रेशनरी मांग में नरमी
डिस्क्रेशनरी मांग यानी कुछ कम जरूरी उत्पादों की खरीदारी में त्योहारी सीजन के बाद नरमी आई है, क्योंकि मुद्रास्फीति से बाजार में मांग पर प्रभाव पड़ने लगा। क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (क्यूएसआर) कंपनियों ने सुस्त वृद्धि दर्ज की। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज को एशियन पेंट्स की तीन वर्षीय बिक्री तीसरी तिमाही में 8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में यह 11 प्रतिशत दर्ज की गई।
निवेश रणनीति
विश्लेषकों ने निवेशकों को मध्यावधि-दीर्घावधि परिदृश्य से एफएमसीजी शेयरों का चयन करने का सुझाव दिया है। साथ ही निवेशकों को यह समझने की भी जरूरत होगी कि कंपनियां उत्पादन लागत में नरमी को लेकर किस तरह की रणनीति अपनाएंगी। ऐक्सिस सिक्योरिटीज में वरिष्ठ शोध विश्लेषक प्रीयम तोलिया हिंदुस्तान यूनिलीवर और डाबर इंडिया पर उत्साहित हैं, क्योंकि उनका मानना है कि घरेलू कारोबार से जुड़ी एफएमसीजी कंपनियां बेहतर प्रदर्शन करेंगी। निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक ने पिछले तीन महीनों के दौरान निफ्टी-50 सूचकांक के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है।