भारतीय दवा नियामक प्रणाली में आमूल चूल बदलाव किया जा रहा है। डिजिटल दवा नियामक व्यवस्था (डीआरएस) विकसित करने के लिए केंद्र सरकार एकीकृत ऑनलाइन पोर्टल बनाने पर काम कर रही है।
हैदराबाद में फरवरी में आयोजित 2 दिन के चिंतन शिविर में औषधि नियामकों व हिस्सेदारों की समस्याओं पर चर्चा हुई थी। अब केंद्र सरकार सभी नियामकीय गतिविधियों के लिए एकीकृत पोर्टल विकसित करने की दिशा में काम कर रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में मार्च में कहा था, ‘भारत ऐसी व्यवस्था का पालन करता है, जहां केंद्र व राज्य दोनों सरकारों की दवा क्षेत्र के लिए विनिर्माण लाइसेंस जारी करने व नियमन में अहम भूमिका होती है। चिंतन शिविर में साझा मानकों व नियमन की जरूरत महसूस की गई, जो केंद्र व राज्य दोनों सरकारों के प्राधिकारी स्वीकार करें।’
उन्होंने कहा था कि दवाओं की मंजूरी में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए नियामकीय जरूरतों, प्रक्रियाओं और डेटाबेस में तालमेल के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
हैदराबाद में हुए चिंतन शिविर के बाद औषधि विभाग के सचिव के अधीन एक समिति का गठन किया गया, जिसे औषधि नियामक व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन करने के लिए खाका प्रस्तुत करना था। इस समिति में भारत के औषधि महा नियंत्रक (डीजीसीआई), केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव (औषधि) और राज्यों के सबंधित अधिकारी शामिल थे।
हाल ही में डीजीसीआई राजीव सिंह रघुवंशी ने इस तरह का प्रस्ताव सभी राज्य औषधि नियंत्रकों, दवा विनिर्माण से जुड़े संगठनों, ग्राहकों, भारतीय मानक ब्यूरो, इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर), उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय आदि के साथ साझा किया।
हिस्सेदारों से कहा गया है कि वे अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दें। बिजनेस स्टैंडर्ड ने उस प्रस्ताव की प्रति देखी है। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय औषधि मानक एवं नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने पहले तमाम कदम उठाए हैं, जिससे ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के माध्यम से हिस्सेदारों को शामिल किया जा सके।
बहरहाल ये पोर्टल कई साल में विकसित किए गए और अलग अलग डोमेन नाम से चलाए गए। ऐसे में इससे सरकार के अधिकारियों और आवेदकों को एकल खिड़की का अनुभव नहीं मिल सका।
सीजीएससीओ वेबसाइट के अलावा सुगम ऑनलाइन (2016 में शुरू किया गया सीडीएससीओ का ऑनलाइन लाइसेंसिंग पोर्टल), एमडी ऑनलाइन (मेडिकल उपकरणों के आयात और विनिर्माण के लिए आवेदन), सुगम लैब्स (केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं के लिए सूचना प्रबंधन व्यवस्था), ओएनडीएलएस (राज्य प्राधिकारियों के लिए लाइसेंसिंग व्यवस्था) आदि शामिल हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार डीआरएस की ओर बढ़ रही है। इसका मकसद घरेलू व वैश्विक बाजार में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर भरोसा बढ़ाना, दवाओं की गुणवत्ता के नियमन में पारदर्शिता और जवाबदेही विकसित करना, गुणवत्ता को प्रभावी तरीके से लागू करना, फील्ड स्तर पर सुरक्षा व कुशलता के प्रावधान लागू करना और भारतीय फार्माकोपिया और मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना है।’
डीआरएस दवा लाइसेंसिंग और अनुमति से जुड़ी विभिन्न सरकारी एजेंसियों के एकीकरण का ध्यान रखेगा। साथ ही विनिर्माताओं, एक्सिपिएंट्स, मध्यस्थों, विपणकों, प्राथमिक पैकेजिंग सामग्री के आपूर्तिकर्ताओं का डेटाबेस तैयार करने के अलावा सभी वेंडरों, हिस्सेदारों के पंजीकरण का काम भी होगा, जिससे आपूर्ति श्रृंखला की जानकारी हो और उस पर नजर रखी जा सके।
इसके अलावा इसमें लाइसेंस वाली इकाइयों और अनुमति प्राप्त उत्पादों के ऑनलाइन आंकड़े होगें। साथ ही मानक के प्रतिकूल, सार्वजनिक रूप से मौजूद नकली दवाओं के आंकड़े भी होंगे। सुधारात्मक कदम के असर और उनकी निगरानी की व्यवस्था के अलावा अन्य प्रावधान भी इसमें मौजूद होंगे।