गो फर्स्ट (Go First ) के घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया है कि एयरलाइन दिल्ली उच्च न्यायालय दिए गए आदेश को चुनौती नहीं देगी और परिसमापन प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करेगी।
उच्च न्यायालय ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से शुक्रवार (3 मई) तक सभी 54 विमानों का पंजीकरण रद्द करने को कहा था।
ऋणदाताओं का कहना है कि एकमात्र विकल्प अब एयरलाइन का परिसमापन रह गया है। हालांकि उनका कहना है कि परिसमापन से ऋणदाताओं को अपनी पूंजी गंवानी पड़ेगी, क्योंकि लंबी कानूनी प्रक्रिया की वजह से परिसंपत्तियों और उसकी वैल्यू, दोनों की लगभग समाप्त हो गई हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 26 अप्रैल को जारी किए गए आदेश को ध्यान में रखते हुए डीजीसीए ने दिवालिया हो चुकी गो फर्स्ट के पास पट्टे वाले सभी 54 विमानों का पट्टा बुधवार को समाप्त कर दिया।
एयरलाइन के समाधान पेशेवर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दिवाकर महेश्वरी ने अदालत से इस आदेश को स्थगित करने का अनुरोध किया था, लेकिन न्यायालय ने इनकार कर दिया।
गो फर्स्ट ने मई 2023 में दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन किया था। तब से इन विमानों के पट्टेदाता अपने विमान वापस पाने के लिए एयरलाइन की पूर्व मालिक, ऋणदाताओं और समाधान पेशेवरों के साथ कानूनी लड़ाई से जूझ रहे थे।