facebookmetapixel
BFSI Summit: भारत का वित्तीय क्षेत्र सबसे मजबूत स्थिति में, सरकार और आरबीआई ने दी जिम्मेदार वृद्धि की नसीहत2025 बनेगा भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ वर्ष, BFSI समिट में बोले विदेशी बैंकरBFSI Summit: अधिग्रहण के लिए धन मुहैया कराने में नए अवसर देख रहा है बैंकिंग उद्योगBSFI Summit: ‘एमएफआई के दबाव से जल्द बाहर निकल आएंगे स्मॉल फाइनैंस बैंक’BFSI Summit: दुनिया के शीर्ष 20 में से भारत को कम से कम 2 देसी बैंकों की जरूरतBFSI Summit: तकनीक पर सबसे ज्यादा खर्च करने वालों में शुमार है स्टेट बैंक- शेट्टीBFSI Summit: वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक रहे तो मुझे आश्चर्य नहीं – सीईए अनंत नागेश्वरनBFSI Summit: बीएफएसआई की मजबूती के बीच MSMEs के लोन पर जोरBFSI Summit: कारगर रहा महंगाई का लक्ष्य तय करना, अहम बदलाव की जरूरत नहीं पड़ीBFSI Summit: बढ़ती मांग से कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार सुस्त

बाजार पर हावी विदेशी बिकवाली, बॉन्ड यील्ड बढ़ने और Fed के बयान से सूचकांकों में गिरावट

फेडरल रिजर्व की गवर्नर मिशेल बोमन ने बीते सोमवार को कहा था कि मुद्रास्फीति को पटरी पर लाने के लिए ब्याज दर में अभी कई दफा इजाफा करने की जरूरत पड़ सकती है।

Last Updated- October 03, 2023 | 10:42 PM IST
Bonus shares will be available for trading on T+2 basis, BSE shares jumped 18 percent ट्रेडिंग के लिए बोनस शेयर टी प्लस 2 आधार पर होंगे उपलब्ध, BSE का शेयर 18 फीसदी उछला

Stock Market: बॉन्ड यील्ड बढ़ने और फेडरल रिजर्व के दो अधिकारियों के बयानों में ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रहने की आशंका झलकने से आज निवेशकों का हौसला पस्त हो गया।

इसका असर देसी बाजार पर भी पड़ा और सेंसेक्स 316 अंक गिरकर 65,512 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 109 अंक नीचे 19,529 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान दोनों सूचकांक एक महीने के सबसे निचले आंकड़े पर फिसल गए थे। बाद में नुकसान थोड़ा कम हुआ मगर सूचकांक गिरावट से नहीं उबर पाए।

10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड 4.7 फीसदी पर पहुंच गई, जो 15 अगस्त , 2007 के बाद सबसे अधिक है। बॉन्ड यील्ड में तेजी से इस साल दरों में इजाफे की आशंका भी बढ़ गई है, जिससे शेयरों पर दबाव बढ़ा है।

फेडरल रिजर्व के दो अधिकारियों के सतर्कता भरे बयान से भी दर वृद्धि में मजबूती आने के संकेत मिले हैं। फेडरल रिजर्व ऑफ क्लीवलैंड की अध्यक्ष लॉरेटा मेस्टर ने इस साल दर में एक बार और वृद्धि की जरूरत बताई तथा मुद्रास्फीति 2 फीसदी पर लाने का लक्ष्य हासिल करने तक ब्याज दरें ऊंची बनाए रखने पर जोर दिया। हालांकि मेस्टर ने कहा कि अंतिम निर्णय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर निर्भर करेगा।

फेडरल रिजर्व की गवर्नर मिशेल बोमन ने बीते सोमवार को कहा था कि मुद्रास्फीति को पटरी पर लाने के लिए ब्याज दर में अभी कई दफा इजाफा करने की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि ईंधन की ऊंची कीमतों से मुद्रास्फीति के मोर्चे पर फेड की चिंता बढ़ा सकती है। इस बीच गोल्डमैन सैक्स ने आगाह किया कि ऊंची ब्याज दरों से शेयरों में आगे और गिरावट आ सकती है।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, ‘फेडअधिकारियों के बयान इस बात की स्वीकारोक्ति है कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति काबू में लाने पर ध्यान देगा, जिसके लिए दरें और बढ़ाने की जरूरत हो सकती है।

अल्फानीति फिनटेक के यूआर भट्ट ने कहा कारण है कि बॉन्ड यील्ड बढ़ रही है और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक पिछले एक महीने से उभरते बाजारों से अपना निवेश निकाल रहे हैं। मुद्रास्फीति पर फेड के रुख में कुछ महीने पहले की तुलना में काफी बदलाव आया है और वह दरें बढ़ाना जारी रख सकता है।

कच्चे तेल के चढ़ते दाम मुद्रास्फीति के खिलाफ केंद्रीय बैंकों की लड़ाई को मुश्किल बना रहे हैं। ब्रेंट क्रूड 92 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। कच्चे तेल में तेजी से दूसरे बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार का आकर्षण कम हो सकता है। भट्ट ने कहा, ‘अगर तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जाते हैं तो भारत के लिए भुगतान संतुलन में भी कठिनाई आ सकती है।’

आगे कंपनियों के तिमाही नतीजों से बाजार को दिशा मिलेगी। भट्ट ने कहा, ‘हमें तिमाही नतीजों खास तौर पर आईटी दिग्गजों के नतीजों पर नजर रखनी होगी।

First Published - October 3, 2023 | 10:36 PM IST

संबंधित पोस्ट