रेस्टोरेंट ब्रांड्स एशिया की प्रवर्तक एवरस्टोन कैपिटल ने शुक्रवार को कंपनी की 25 फीसदी हिस्सेदारी ब्लॉक डील के जरिये 1,494 करोड़ रुपये में बेच दी। प्राइवेट इक्विटी फर्म अपने पास कंपनी की 15.44 फीसदी हिस्सेदारी बनाए रखेगी, जो देश में बर्गर किंग ब्रांड के नाम से फास्ट फूड रेस्टोरेंट का परिचालन करती है।
ऋआज के लेनदेन के साथ एवरस्टोन कई प्राइवेट इक्विटी फर्म के क्लब में शामिल हो गई है, जो ब्लॉक डील के जरिये अपने निवेश की निकासी की है और इस तरह से शेयर बाजारों में रही बढ़त का फायदा उठाया है, साथ ही गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी का भी इन्हें लाभ मिला है।
शुक्रवार को एवरस्टोन कैपिटल ने 12.54 करोड़ शेयर खुले बाजार में 119.1 रुपये प्रति शेयर पर बेचकर 1,494 करोड़ रुपये जुटाए। खरीदारों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (405 करोड़ रुपये), प्लेटस वेल्थ (357.3 करोड़ रुपये), क्वांट म्युचुअल फंड (167 करोड़ रुपये) और टाटा म्युचुअल फंड (149 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
रेस्टोरेंट ब्रांड का शेयर 6.3 फीसदी की बढ़त के साथ 128.35 रुपये पर बंद हुआ। जून तिमाही के आखिर में क्यूएसआर एशिया के पास रेस्टोरेंट ब्रांड की 40.8 फीसदी हिस्सेदारी थी। दिसंबर 2020 में आईपीओ पेश करने वाली रेस्टोरेंट ब्रांड (विगत में बर्गर किंग इंडिया) का शेयर 60 रुपये का था।
आंकड़े बताते हैं कि प्राइवेट इक्विटी व वेंचर कैपिटल फर्मों ने इस साल जनवरी से अगस्त के बीच ब्लॉक डील के जरिये 57,338 करोड़ रुपये की निवेश निकासी की है जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 41,051 करोड़ रुपये का रहा। यह जानकारी प्राइम डेटाबेस से मिली।
निवेश निकासी के कुछ अहम उदाहरण में बेरिंग पीई की तरफ से कोफोर्ज की 26.6 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री 7,684 करोड़ रुपये में किया जाना शामिल है। हाल में चीन के अलीबाबा समूह की फर्म एंटफिन ने पेटीएम की हिस्सेदारी 2,037 करोड़ रुपये में बेची जबकि टाइगर ग्लोबल ने जोमैटो की 1.44 फीसदी हिस्सेदारी ब्लॉक डील के जरिये 1,224 करोड़ रुपये में बेची।
मोएलिस इंडिया के सीईओ मनीष गिरोत्रा ने हालिया साक्षात्कार में कहा था, प्राइवेट इक्विटी निवेश के लिहाज से सबसे अच्छी चीज यह हुई कि निकासी अब काफी आसान हो गई है। कई प्राइवेट इक्विटी ने निवेश निकासी ब्लॉक डील के जरिये की। पिछले दो महीने में आठ ट्रेड हुए हैं। वास्तव में सार्वजनिक बाजार काफी गहरा हो गया है और नकदी काफी बड़ी चीज है, जो पहले भारत के लिए काफी नकारात्मक थी।
बैंकरों ने कहा कि द्वितीयक बाजार स्थिर हुए हैं और नई ऊंचाई पर पहुंचे हैं, ऐसे में पिछले दो साल में इक्विटी की बिकवाली के घटनाक्रम में प्राइवेट इक्विटी निवेशक व प्रवर्तकों की तरफ से ब्लॉक डील के जरिये बिक्री का वर्चस्व रहा है। बैंकर ने कहा, कई प्राइवेट इक्विटी निवेशक द्वितीयक बाजार में बिकवाली के जरिए मिली कामयाबी से उत्साहित हैं क्योंकि यह विलय या अन्य प्राइवेट इक्विटी निवेशकों को बिक्री के जरिये निकासी की खातिर टिकाऊ वैकल्पिक मार्ग खोलता है।
कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रबंध निदेशक व सीईओ एस रमेश ने हालिया साक्षात्कार में कहा था, हम कॉरपोरेट इंडिया के आकार में बढ़ोतरी से रूबरू हो रहे हैं, जिसकी वजह भारत में आने वाली प्राइवेट पूंजी है। पिछले दो तीन साल में प्राइवेट इक्विटी निवेशकों ने असूचीबद्ध सहायक व निजी कंपनियों में निवेश के अलावा सूचीबद्ध कंपनियों में नियंत्रक हिस्सेदारी ली है। इनमें से कई प्राइवेट इक्विटी निवेश उच्च मूल्यांकन पर निकासी में सक्षम हुए हैं, लिहाजा वे भारतीय बाजार के टिकाऊपन व गहराई को लेकर भरोसा दे रहे हैं।