मॉर्गन स्टैनली भी सीएलएसए और नोमुरा जैसे उन वैश्विक ब्रोकरों की सूची में शामिल हो गई है, जिन्होंने भारतीय बाजार के लिए निवेश आवंटन बढ़ाया है।
विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू इक्विटी के लिए बढ़ रही पसंद से भारतीय बाजारों को उनके उभरते बाजार (ईएम) प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिल सकती है।
वर्ष 2021 से, एमएससीआई इंडिया सूचकांक 39 प्रतिशत चढ़ा है, जबकि एमएससीआई ईएम सूचकांक में 28 प्रतिशत गिरावट आई। कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक भारतीय सूचकांक में 7.4 प्रतिशत की तेजी आई है, जबकि एमएससीआई ईएम में 2.7 प्रतिशत की कमजोरी रही है।
मॉर्गन स्टैनली ने इस सप्ताह जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा, ‘हमने अपने बेहद पसंदीदा ईएम बाजार के तौर पर भारतीय बाजारों पर अपना ओवरवेट (ओडब्ल्यू) नजरिया बढ़ाया है। आर्थिक/आय वृद्धि सुधर रही है और वृहद स्थायित्व को लेकर हालात ऊंची वास्तविक दर के परिवेश का सामना करने के लिहाज से उपयुक्त दिख रहे हैं। घरेलू पूंजी प्रवाह में तेजी बनी हुई है और बदलते वैश्विक परिदृश्य से भारत की ओर एफडीआई और पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह, दोनों में तेजी को बढ़ावा मिल रहा है।’
इस अमेरिकी ब्रोकरेज ने एशिया एक्स-जापान पोर्टफोलियो में भारत का भारांक 75 आधार अंक से बढ़ाकर 100 आधार अंक कर दिया है।
इस महीने के शुरू में, सीएलएसए ने कहा था कि वह अनुकूल वृहद परिदृश्य की वजह से एमएससीआई एशिया पैसीफिक, एक्स-जापान पोर्टफोलियो में घरेलू बाजारों पर 303 आधार अंक ओवरवेट है।
सितंबर के अंत में, नोमुरा ने भारतीय बाजार पर अपनी रेटिंग ‘न्यूट्रल’ से बढ़ाकर ‘ओवरवेट’ कर दी और एमएससीआई एशिया एक्स-जापान इंडेक्स में भारत के भारांक के मुकाबले 100 आधार अंक ज्यादा आवंटन का सुझाव दिया। भारत पर ये ओडब्ल्यू रुख ऐसे समय में अपनाया गया है जब ईएम प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले घरेलू बाजारों का मूल्यांकन महंगा है।
विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय बाजार भले ही महंगे हैं, लेकिन अभी भी उनमें अवसर बने हुए हैं।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) सौरभ मुखर्जी ने कहा, ‘इजरायल-हमास टकराव की वजह से पश्चिमी दुनिया में ब्याज दरें नीचे नहीं आएंगी। पश्चिम दुनिया पहले ही मंदी की चपेट में है और चीन को संघर्ष करना पड़ रहा है। भारत के अलावा, दुनिया के किसी अन्य देश द्वारा आर्थिक वृद्धि में तेजी दर्ज किए जाने की संभावना नहीं है। दुनिया में एकमात्र बड़ा बाजार बचा है, जहां अगले कुछ वर्षों में 6-7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है।’
ईएम प्रतिस्पर्धियों के कमजोर प्रदर्शन का एक प्रमुख कारण है चीन का खराब प्रदर्शन, जिसका एमएससीआई ईएम और एमएससीआई एशिया पैसीफिक एक्स-जापान सूचकांकों में सबसे ज्यादा भारांक रहा है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यदि चीन आर्थिक रूप से फिर से मजबूत होता है तो भारत का आकर्षण फीका पड़ सकता है। इस सप्ताह निफ्टी सूचकांक 1.1 प्रतिशत गिरा, जबकि एमएससीआई ईएम सूचकांक में 2.2 प्रतिश्त गिरावट आई।