BFSI Summit 2025: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और बदलते मौद्रिक माहौल के बीच, मुंबई में आयोजित बिजनेस स्टैंडर्ड BFSI इनसाइट समिट 2025 के दौरान भारतीय बैंकिंग सेक्टर और फाइनैंशियल मार्केट के एक्सपर्ट्स ने ब्याज दरों और लोन सप्लाई को लेकर अपने विचार साझा किए हैं। जहां सिटी बैंक के भारत एवं दक्षिण एशिया के मार्केट्स हेड आदित्य बागरी का मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वर्तमान परिस्थितियों के चलते ब्याज दरों में कटौती की संभावना है। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक के ट्रेजरी हेड शैलेन्द्र झिंगन का कहना है कि पिछले साल बैंकों के इश्यू मजबूत रहे थे, लेकिन इस साल सप्लाई सीमित रहने की संभावना है। बागरी ने बताया कि भारत का बॉन्ड बाजार मुख्य रूप से घरेलू संस्थागत निवेशक चला रहे है।
सिटी बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और भारत एवं दक्षिण एशिया के मार्केट्स हेड आदित्य बागरी ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को तीन प्रमुख रुझान आकार दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “पहला, बेरोजगारी दर अभी भी अपेक्षाकृत ऊंची है। दूसरा, ट्रंप सरकार द्वारा लगाए गए टैरिफ से महंगाई को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। तीसरा, भले ही आर्थिक वृद्धि हुई है, लेकिन यह व्यापक नहीं रही है। मेरा मानना है कि आज ब्याज दरों में कटौती की जाएगी।”
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आईसीआईसीआई बैंक के ट्रेजरी हेड शैलेन्द्र झिंगन ने कहा, “पिछले साल बैंकों के इश्यू काफी मजबूत रहे। इस साल की शुरुआत अच्छी रही, लेकिन यह ज्यादा रणनीतिक (tactical) रहा है। मेरे विचार से, इसका मुख्य कारण यह है कि लोन मार्केट सस्ता रहा है। हमें उम्मीद है कि आपूर्ति (सप्लाई) सीमित ही बनी रहेगी।”
आदित्य बागरी ने कहा कि “भारत का बॉन्ड बाजार मुख्य रूप से घरेलू संस्थागत निवेशकों जैसे म्युचुअल फंड, बीमा कंपनियां और बैंक आदि से संचालित होता है। इस सेक्टर में मांग नियामकीय (रेगुलेटरी) और कर (टैक्स) संबंधी कारणों से कम हुई है। अब सवाल यह है कि इस मांग को फिर से कैसे बढ़ाया जाए। इक्विटी या एफपीआई (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश) के मोर्चे पर, हमने इस साल लगभग 15-16 अरब डॉलर का आउटफ्लो देखा है।
इस पैनल चर्चा का विषय “वैश्विक उथल-पुथल से निपटना: क्या भारत इस राह पर बना रह सकता है?”