उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से सवालों के घेरे में आई नोएडा की दवा कंपनी मेरियन बायोटेक ने अपना विनिर्माण लाइसेंस गंवा दिया है। उत्तर प्रदेश खाद्य सुरक्षा व दवा प्रशासन के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि तय समय में कंपनी कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दे पाई, जो उसके संयंत्र में अच्छे विनिर्माण के तौर-तरीके के उल्लंघन के लिए जारी किए गए थे। अब उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। इसकी सूचना कंपनी को ईमेल पर दे दी गई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
30 दिसंबर को मेरियन बायोटेक के निदेशकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे और उन्हें 5 जनवरी तक जवाब देने को कहा गया था। यूपी एफएसडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमने कंपनी के संयंत्र में अच्छे विनिर्माण के तौर-तरीके से जुड़े शेड्यूल एम का उल्लंघन पाया है। इसके बाद हमने 30 दिसंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उन्हें जवाब देने के लिए सात दिन का समय दिया गया। इसमें नाकाम होने पर हम संयंत्र का लाइसेंस निलंबित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि इस संयंत्र मे उत्पादन निलंबित किया जा चुका है। इस बीच, क्षेत्रीय दवा जांच प्रयोगशाला, चंडीगढ़ भेजे गए नमूने की जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। सूत्रों ने कहा, प्रयोगशाला से रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी और आधिकारिक तौर अपराध का अभियोग लगाया जा सकता है।
हालांकि उत्तर भारत की एक अन्य फर्म मैडन फार्मा का विनिर्माण लाइसेंस हरियाणा एफडीएने अभी तक न तो रद्द किया है और न ही निलंबित। राज्य व केंद्रीय नियामक की संयुक्त निरीक्षण के बाद फर्म को नोटिस भेजा गया, जिसके जवाब में उसने कहा कि संयंत्र में विनिर्माण के अच्छे तौर-तरीके के उल्लंघन को दुरुस्त करने के लिए हमने उपचारात्मक कदम उठाए हैं। अब इस संयंत्र के दोबारा निरीक्षण की योजना बनी है।
मेरियन बायोटक के संयंत्र का दौरा राज्य व केंद्रीय दवा नियामकों की संयुक्त टीम ने 27 और 29 दिसंबर को किया था जब रिपोर्ट आई थी कि फर्म की तरफ से विनिर्मित कफ सीरप डॉक1 मैक्स के सेवन से उज्बेकिस्तान में करीब 18 बच्चों की मौत हो गई।
कफ सीरप में मिलावट की खबर के बाद केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की टीम के निरीक्षण के बाद 30 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सुबह ट्वीट किया था। मेरियन बायोटेक के नोएडा संयंत्र में रविवार रात से विनिर्माण गतिविधियां बंद हो है और आगे की जांच जारी है।
30 दिसंबर को भारतीय दवा निर्यात संवर्धन परिषद ने कंपनी की सदस्यता निलंबित कर दी थी और मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव स्कीम के तहत प्रोत्साहन के लिए कंपनी को अयोग्य बना दिया था। भारतीय दवा निर्यात संवर्धन परिषद के महानिदेशक उदय भास्कर ने मेरियन बायोटेक को यह बताने कहा था कि कफ सीरप की आपूर्ति किसे की गई, साथ ही आयातक कौन था। इसके अलावा विनिर्माण लाइसेंस की प्रति और कफ सीरप बनाने की इजाजत के बारे में जानकारी मांगी थी।
भारतीय दवा निर्यात संवर्धन परिषद के पत्र में कहा गया है, आपकी कंपनी की तरफ से कथित तौर पर घटिया दवा की आपूर्ति से हुई 18 बच्चों की मौत ने भारतीय दवा उद्योग की साख खराब की है और इससे भारतीय दवा निर्यात पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का भरोसा भी डिग सकता है। मेरियन बायोटेक के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक सचिन जैन से ऐसे प्रतिकूल घटनाक्रम की वजहों का पता लगाने और आगे की कार्रवाई के लिए परिषद को तथ्यों की जानकारी देने को कहा गया था।