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छोटे और मझोले शहरों में तेजी से पैठ बढ़ा रहीं कंपनियां

कम खर्च पर मिल रही प्रतिभाओं का लाभ उठाने के लिए छोटे-मझोले शहरों का रुख कर रहे जीसीसी

Last Updated- September 21, 2023 | 10:44 PM IST
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नए वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) की स्थापना के लिए बड़े शहर अभी भी पसंदीदा स्थल बने हुए हैं मगर मौजूदा जीसीसी अपने पोर्टफोलियो के जोखिम को कम करने और कम खर्च पर उपलब्ध प्रतिभाओं का लाभ उठाने के लिए छोटे-मझोले शहरों में अपना विस्तार कर रहे हैं।

नैसकॉम-जिनोव की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 तक भारत में कुल 1,580 जीसीसी थे जिनमें 16.6 लाख कुशल लोग कार्यरत थे। 2023 की पहली छमाही में मुंबई, पुणे, बेंगलूरु जैसे बड़े शहरों में कुल 18 नए जीसीसी खोले गए। हालांकि पहली बार ऐसा देखा गया कि अहमदाबाद, मैसुरु, वडोदरा, नाशिक और कोयंबत्तूर जैसे छोटे-मझोले शहर पहले से स्थापित जीसीसी के विस्तारित केंद्रों के तौर पर उभरे हैं।

2023 की पहली छमाही के दौरान कम से कम 5 जीसीसी ने मझोले यानी टियर-2 शहरों में अपने केंद्रों का विस्तार किया है। उदाहरण के लिए अक्षय ऊर्जा कंपनी मेत्सो ने वडोदरा में अपनी मौजूदगी का विस्तार किया है। इसी तरह प्रीमियम स्पिरिट कंपनी पर्नो रिकार्ड ने नाशिक में और विनिर्माण सेवा प्रदाता फ्लेक्स ने कोयंबत्तूर में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। कुछ जीसीसी की पहले से ही टियर-2 शहरों में अच्छी पैठ है।

उदाहरण के लिए फर्स्ट अमेरिकन फाइनैंशियल कॉर्प की जीसीसी इकाई फर्स्ट अमेरिकन (इंडिया) की तमिननाडु के छोटे शहर सेलम में अच्छी खासी मौजूदगी है और इसमें 800 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं।

जिनोव में पार्टनर मोहम्मद फराज खान ने कहा, ‘बड़े शहरों में मौजूद कंपनियां इस बारे में संभावनाएं तलाश सकती हैं कि प्राकृतिक आपदा आदि की स्थिति में अपने पोर्टफोलियो के जोखिम को कैसे कम किया जाए। और इसके लिए वह देश के विभिन्न हिस्सों में जाने की संभावना तलाश रही हैं। मझोले शहरों के अपने कुछ फायदे भी हैं। यहां कर्मचारियों की लागत कम आती है और कर्मचारियों के कंपनी छोड़ने के मामले भी कम होते हैं। ऐसे शहरों में कंपनियों को कुशल प्रतिभाएं भी आसानी से मिल जाती हैं।’

उन्होंने कहा कि इन शहरों को भी इससे फायदा होता है क्योंकि जीसीसी बेहतर वेतन पर रोजगार के अच्छे विकल्प मुहैया कराती है।
बड़े शहरों में मौजूद जीसीसी यह अच्छी तरह से जानती हैं कि दूर स्थित केंद्रों का संचालन कैसे किया जाता है।

खान ने कहा, ‘सामान्य तौर पर पर कंपनियां शीर्षस्तर पर एक या दो अच्छे लोगों को चुनती हैं जो छोटे-मझोले शहरों में जाने के लिए तैयार रहते हैं और वहां अपना केंद्र बनाती हैं। मौजूदा केंद्रों के विस्तार के संदर्भ में यह चलन तेजी से बढ़ रहा है।’

जीसीसी परामर्श फर्म एएनएसआर के अनुसार लगभग सभी क्षेत्रों में टियर-2 शहरों में श्रमबल की मांग 30 से 40 फीसदी बढ़ी है। केंद्रीय कार्यालय और छोटे केंद्रों के मॉडल में कर्मचारियों को लचीलापन प्रदान करता है क्योंकि कर्मचारियों को अपने घर के पास ही काम मिल जाता है। महामारी के दौरान कई लोग महानगरों को छोड़कर उपनगरों में बस गए हैं, ऐसे में कई कंपनियों ने मझोले और छोटे शहरों में अपने छोटे दफ्तर खोल लिया है। इससे कर्मचारियों को काम के लिए रोज लंबी दूरी तय नहीं करनी होती है।

छोटे-मझोले शहरों में तकनीकी सुविधाओं में सुधार से भी जीसीसी इन जगहों पर जाने के लिए प्रेरित हुई हैं। टैलॅन्ट समाधान कंपनी एनएलबी सर्विसेज के मुख्य कार्याधिकारी सचिन अलग ने कहा, ‘कंपनियों का ध्यान अब महानगरों से अन्य इलाकों की ओर हो गया है और इसके कई कारण हैं। कम प्रतिस्पर्धा, प्रतिभाओं की भरमार, बुनियादी ढांचा और विस्तार की संभावना को देखते हुए कंपनियां वडोदरा, नासिक, कोयंबत्तूर जैसे शहरों में अपने दफ्तर खोल रही हैं।’

First Published - September 21, 2023 | 10:44 PM IST

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