वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिका के नेतृत्व वाले इंडो पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईए) के आपूर्ति श्रृंखला समझौते के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मांगी है। इस मामले से जुड़े व्यक्तियों ने यह जानकारी दी।
उपरोक्त में से एक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘आपूर्ति श्रृंखला के कानूनी पहलुओं की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। आईपीईएफ तहत सभी 4 स्तंभों के साथ नवंबर में इसके टेक्स्ट को भी सार्वजनिक किया जाएगा।’
आर्थिक पहल के तहत 4 स्तंभ
आर्थिक पहल के तहत 4 स्तंभ हैं- व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (कर और भ्रष्टाचार मुक्त)। अभी आपूर्ति श्रृंखला पहला स्तंभ है, जिसे 14 आईपीईएफ सदस्य देशों ने मंजूरी दी है।
मई में एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि अमेरिका में हुए आईपीईएफ मंत्रिस्तरीय बैठक में अपने तरह के अकेले आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखला समझौते पर बातचीत में उल्लेखीय प्रगति हुई है। उसके बाद इस महीने की शुरुआत में दक्षिण कोरिया में हुई बैठक के बारे में भी अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावित समझौते की कानूनी समीक्षा हो रही है।
इस समझौते का मकसद आईपीईएफ सदस्य देशों के आपसी सहयोग और व्यक्तिगत कवायदों के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन, दक्षता, उत्पादकता, स्थिरता, पारदर्शिता, विविधीकरण, सुरक्षा, निष्पक्षता और समावेशिता में वृद्धि करना है।
डिलिवरी बेहतर करने के लिए मिलकर काम करना मकसद
इसका मकसद आपूर्ति श्रृंखला को ज्यादा मजबूत और एकीकृत बनाना और संकट के समय में आपूर्ति श्रृंखला में आने वाले व्यवधान में तालमेल करना और संकट के समय प्रभावित वस्तुओं की डिलिवरी बेहतर करने के लिए मिलकर काम करना है। साथ ही इसका मकसद महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाकर क्षमता बढ़ाना भी है।
वाणिज्य विभाग ने उद्योग को प्रस्तावित आपूर्ति श्रृंखला समझौते के बारे में उद्योगों को जानकारी देने की कवायद भी शुरू कर दी है, जिससे वे इसे लागू करने की दिशा में तैयारी कर सकें।
आईपीईएफ में कई देश शामिल
अमेरिका के अलावा आईपीईएफ में शामिल देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, इंडोनेशिया, भारत, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।