facebookmetapixel
मोतीलाल ओसवाल ने इन 5 स्टॉक्स पर दी BUY रेटिंग, 1 साल में 24% तक अपसाइड के टारगेटअदाणी पावर को एमपी सरकार से फिर मिला ऑर्डर, ₹21000 करोड़ करेगी निवेश; शेयर ने लगाई छलांगपूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे किनारे उद्योगों को मिलेगी रफ्तार, यूपी सरकार की बड़ी पहलसोने-चांदी में गिरावट के साथ शुरू हुआ कारोबार, MCX पर देखें आज का भावएल्युमीनियम उद्योग को नीतिगत समर्थन की जरूरत : हिंडाल्कोवैल्यूएशन पर नहीं बनी सहमति, हायर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने से पीछे हटा मित्तलIDBI बैंक ने Zee एंटरटेनमेंट के खिलाफ फिर दायर की याचिकाCEA नागेश्वरन का दावा: घरेलू सुधारों ने भारत को दी सुरक्षा, जीएसटी सुधार से बढ़ेगी खपतFitch ने भारत का GDP ग्रोथ अनुमान बढ़ाया, घरेलू मांग और निवेश को बताया सहारासंजय कपूर की पत्नी प्रिया को सभी संपत्तियों का खुलासा करने का निर्देश

इंदिरा आईवीएफ में BPEA खरीदेगी बहुलांश हिस्सेदारी

बीपीईए ईक्यूटी करीब 6,000 करोड़ रुपये में इसमें 60 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी।

Last Updated- July 28, 2023 | 10:55 PM IST

निवेश फर्म बीपीईए ईक्यूटी (BPEA EQT) भारत के सबसे बड़े फर्टिलिटी प्रदाता इंदिरा आईवीएफ (Indira IVF) में बहुलांश हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। कंपनी ने इस सौदे की रकम का खुलासा नहीं किया गया है।

आईवीएफ का मूल्य 10,000 करोड़ रुपये से अधिक

बाजार के सूत्रों ने कहा कि इंदिरा आईवीएफ का मूल्य 10,000 करोड़ रुपये से अधिक है। बीपीईए ईक्यूटी करीब 6,000 करोड़ रुपये में इसमें 60 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी। इंदिरा आईवीएफ ने सौदे के मूल्य का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

बीपीईए ईक्यूटी स्वीडन की वैश्विक निवेश फर्म ईक्यूटी की इकाई है। बीपीईए ईक्यूटी ने बेरिंग पीई एशिया (बीपीईए) और ईक्यूटी एशिया की निजी इक्विटी टीमों को एकीकृत किया है।

संस्थापकों के पास सौदे के बाद भी अच्छी खासी हिस्सेदारी होगी

ईक्यूटी ने आज घोषणा की कि वह उदयपुर की कंपनी इंदिरा आईवीएफ में टीए एसोसिएट्स तथा कंपनी के संस्थापकों डॉ. अजय मुर्डिया, डॉ. क्षितिज मुर्डिया और डॉ. नितिज मुर्डिया से बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने की सहमति जताई है। हालांकि कंपनी के संस्थापकों के पास सौदे के बाद भी अच्छी खासी हिस्सेदारी होगी और वे कंपनी का नेतृत्व भी जारी रखेंगे।

बोस्टन की टीए एसोसिएट्स की इंदिरा आईवीएफ में 47 फीसदी और प्रवर्तकों के पास 53 फीसदी हिस्सेदारी है। अजय मुर्डिया ने 1988 में इंदिरा आईवीएफ की शुरुआत की थी। इसके बाद से उन्होंने एक क्लिनिक से देश भर के 20 राज्यों में 116 सेंटर तक इसका विस्तार किया है।

इंदिरा आईवीएफ भारत में सहायक प्रजनन तकनीक की अग्रणी कंपनी

इंदिरा आईवीएफ भारत में सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) की अग्रणी है और सालाना तकरीबन 40,000 आईवीएफ को अंजाम देती है। इंदिरा आईवीएफ इस क्षेत्र में दुनिया की शीर्ष 5 फर्मों में शुमार है। अभी तक इंदिरा आईवीएफ ने 1,25,000 जोड़ों को गर्भ धारण करने में मदद की है।

बीपीईए ईक्यूटी में पार्टनर आशीष अग्रवाल ने कहा, ‘प्रजनन (फर्टिलिटी) सेवाएं और प्रजनन स्वास्थ्य भारत में एक बड़ा और तेजी से बढ़ता अवसर है तथा इंदिरा आईवीएफ इस क्षेत्र में अग्रणी है। हम इंदिरा आईवीएफ की मौजूदगी देश भर में और बढ़ाने तथा पड़ोसी देशों में भी इसका विस्तार करने की मजबूत संभावना देख रहे हैं। स्वास्थ्य देखभाल एवं डिजिटलीकरण में ईक्यूटी की इन-हाउस विशेषज्ञता का लाभ उठाते हुए इसके शोध एवं विकास तथा तकनीक पर निवेश जारी रखेंगे।’

इंदिरा आईवीएफ के मुख्य कार्याधिकारी डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने कहा कि बीपीईए ईक्यूटी के साथ साझेदारी एक नए दौर की शुरुआत है। भारत के आईवीएफ बाजार में इंदिरा आईवीएफ की हिस्सेदारी 16 से 17 फीसदी है। इंदिरा आईवीएफ की नजर 20 से 25 फीसदी की दर से विकास करने पर है।

वित्त वर्ष 2023 में कंपनी का कारोबार 1,205 करोड़ रुपये का रहा

वित्त वर्ष 2023 में कंपनी कारोबार 1,205 करोड़ रुपये का रहा और एबिटा मार्जिन 30 से 35 फीसदी दर्ज किया गया। प्रत्येक आईवीएफ चक्र का खर्च करीब 1.7 से 2 लाख रुपये आता है। इसके अलावा गर्भावस्था के 9 महीने के दौरान अतिरिक्त 1 से 1.5 लाख रुपये का खर्च आता है।

भारत दुनिया में एआरटी सेवाओं का तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है और अन्य विकसित बाजारों की तुलना में यहां व्यापक विस्तार की संभावना है। देश में बांझपन की दर करीब 15 फीसदी होने का अनुमान है तथा खान-पान की आदत, तनाव एवं प्रदूषण जैसी जीवनशैली में बदलाव के कारण इस दर के बढ़ने की आशंका है।

देश में अभी हर साल करीब 3 लाख आईवीएफ चक्र पूरे किए जाते हैं और अगले एक दशक में इसके 15 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है।

फर्टिलिटी क्लिनिकों के बढ़ते बाजार में कुछ एकीकरण भी देखा जा सकता है क्योंकि सरकार तेजी से बढ़ते इस क्षेत्र को नियमन के दायरे में लाने का प्रयास कर रही है। एआरटी तथा सरोगेसी कानून को भारत में ऐसे उपचार करने वाले क्लिनिकों को पंजीकृत करके इस तरह के उपचार को विनियमित करने तथा देश में डोनर एवं सरोगेट के व्यावसायीकरण को रोकने के लिए लाया गया है।

कानून के मुताबिक ऐसे क्लिनिकों को कानूनी संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ आवश्यकताओं का पालन करना होगा।

इस क्षेत्र में विलय एवं अधिग्रहण गतिविधियों में भी तेजी आएगी और संगठित कंपनियों तथा छोटे क्लिनिकों के बीच गठजोड़ भी देखे जा सकते हैं। वेंचर इंटैलिजेंस के आंकड़ों के मुताबिक 2018 तक इस क्षेत्र में अग्रणी निजी इक्विटी और वेंचर कैपिटल की ओर से करीब 31.8 करोड़ डॉलर का निवेश किया जा चुका है। 6,000 से 7,000 करोड़ रुपये के इस बाजार में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 17 से 18 फीसदी है और यह क्षेत्र 15 से 20 फीसदी की दर से विकास कर रहा है।

First Published - July 28, 2023 | 10:55 PM IST

संबंधित पोस्ट