महिंद्रा फाइनैंस (Mahindra Finance) का पहली तिमाही में शुद्ध लाभ 58 फीसदी बढ़कर 353 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रमेश अय्यर ने मनोजित साहा को बताया कि कंपनी 2025 तक बहीखाते को 1.25 लाख करोड़ रुपये करने की राह पर है। संपादित अंशः
पहली तिमाही के दौरान महिंद्रा फाइनैंस ने कहा कि पोर्टफोलियो में कई तरह के शेयर शामिल होने और ब्याज लागत बढ़ने के कारण मार्जिन पर प्रभाव पड़ा। पोर्टफोलियो में कैसे बदलाव आया?
दो बातें हैं। पहला शुद्ध ब्याज मार्जिन का 6.8 फीसदी पर आना। हमने प्राइमेक्स ग्राहकों को भी कर्ज देना शुरू किया है। वे उनके लिए दर थोड़ी कम है। साथ ही ऐसे ग्राहकों की संपत्ति की गुणवत्ता और संचालन की लागत भी कम होती है। इसलिए यह एक सतर्क निर्णय है। दूसरा है पुराना कर्ज, जो तय मियाद पर परिपक्व होता है और तब तक आप कर्ज की दरें बढ़ जाती हैं। इसलिए, नए कर्ज की लागत पर लगभग 20 आधार अंकों का प्रभाव पड़ता है।
क्या आपको लगता है कि उधारी लागत आगे भी बढ़ेगी? क्या आपको आगे मार्जिन पर भी दबाव की उम्मीद है?
संभावित मूल्य वृद्धि का अनुमान पहले ही लगाया जा चुका है। अब से दो तिमाहियों के बाद हमें उम्मीद है कि दरें धीरे-धीरे कम होने लगेंगी। फसलों की कटाई के बाद खाद्य पदार्थों की कीमतेंबी कम होने लगेंगी। इसलिए दबाव कम होना चाहिए। तीसरी तिमाही से उधारी लागत में कमी होने की उम्मीद है।
क्या ब्याज दरें बढ़ने से मांग पर भी कोई असर पड़ा है क्या?
नहीं, मांग अभी भी कायम है। यदि आप अभी भी डीलरों के पास जाते हैं तो नए वाहनों की प्रतीक्षा अवधि लंबी है और ग्राहकों की संख्या भी अधिक है। ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) ने वाहनों की कीमतों में खास इजाफा नहीं किया है। वहीं पुराने वाहनों की मांग भी काफी अधिक है।
पहली तिमाही के दौरान ऋण वितरण में 28 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। अब पूरे वित्त वर्ष के लिए आपका अनुमान क्या है?
फिलहाल हम कोई कयास नहीं लगा सकते। हमारी रणनीति बहीखाते को मौजूदा 62 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2025 तक 1.25 लाख करोड़ रुपये करने की है। सालाना 28 फीसदी वृद्धि दर के साथ हम उस लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सकते हैं। चूंकि अभी मांग अटकी हुई है इसलिए त्योहारी सीजन दमदार रहने की उम्मीद है। जाहिर तौर पर वृद्धि अनुमान को हासिल किया जा सकता है।