अदाणी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन गौतम अदाणी ने जनवरी 2020 में घोषणा की थी कि समूह अगले दशक में अक्षय ऊर्जा विकास में 20 अरब डॉलर का निवेश करेगा। कंपनी ने वर्ष 2030 तक 45 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। यह वही वर्ष है, जब भारत 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करने की परिकल्पना कर रहा है।
स्थापित कंपनियों (जिनके पास परिचालनगत परियोजनाएं हैं) के बीच एजीईएल न केवल सबसे बड़ा अक्षय ऊर्जा पोर्टफोलियो रखती है, बल्कि वर्ष 2030 तक भारत द्वारा लक्ष्य बनाई जा रही अक्षय ऊर्जा क्षमता का करीब 10 प्रतिशत निर्मित करने का भी लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके पास सबसे बड़े एकल गंतव्य सौर ऊर्जा पार्क – गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक हैं।
इसकी तुलना में अन्य सभी प्रमुख कंपनियां काफी पीछे हैं। टाटा पावर की सौर ऊर्जा क्षमता 5.6 गीगावॉट बैठती है और इसकी नजर वर्ष 2030 तक 25 गीगावॉट क्षमता हासिल करने पर है। रीन्यू की क्षमता सात गीगावॉट है और 5.7 गीगावॉट निर्माणाधीन है। आरआईएल का लक्ष्य 100 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करना है लेकिन अभी तक कोई परियोजना चालू नहीं है, साथ ही उसकी अधिकांश क्षमता निजी उपयोग के लिए होगी।
लेकिन जिस चीज ने एजीईएल को हाल तक भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र का प्रतीक बनाया है, वह कंपनी और देश के अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों के लिए बड़ी बाधा बन सकती है।
हिंडनबर्ग प्रकरण के बाद एजीईएल ने वित्त वर्ष 24 के लिए 10,000 करोड़ रुपये की अपनी पूंजीगत व्यय योजना की समीक्षा का फैसला किया है। तीसरी तिमाही के परिणाम के बाद अपने बॉन्ड धारकों के साथ बैठक में एजीईएल के प्रबंधन ने कहा था कि यह संभावित लक्ष्य है और अब भी समीक्षाधीन है।
क्षमता वृद्धि के लिहाज से कंपनी की जो आक्रामक विकास योजनाएं हैं, यह उनके बिल्कुल विपरीत है।
निवेशक सम्मेलन के दौरान कंपनी के अधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार कंपनी के पास तकरीबन 15 गीगावॉट की निर्माणाधीन क्षमता है। मूडीज के अनुसार एजीईएल की विकास योजनाओं के लिए अगले पांच वर्षों में लगभग 63,400 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की जरूर होगी।
अपनी निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए एजीईएल बैंकों से निर्माण के लिए रकम जुटाती है और परियोजनाएं चालू होने पर उस पोर्टफोलियो की अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड फंडिंग से पुनर्वित्त करती है। लेकिन यही पुनर्वित्त, अब चिंता का कारण है।
पिछले महीने मूडीज ने एजीईएल के संबंध में अपने क्रेडिट नजरिये में कहा था कि एजीएल के पास मार्च 2025 (वित्त वर्ष 25) को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में 2.7 अरब डॉलर का पुनर्वित्त बकाया होगा, जिसमें सितंबर 2024 और दिसंबर 2024 में परिपक्व होने वाले एजीईएल आरजी-1 नोट्स के क्रमशः 75 लाख डॉलर और 50 लाख डॉलर शामिल हैं। इस रेटिंग के संबंध में नकारात्मक दृष्टिकोण का प्रमुख संचालक है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी यह दस्तावेज देखा था।
जोखिम-प्रतिफल अनुपात
बॉन्ड धारकों के साथ बैठक में एजीईएल के प्रबंधन ने कंपनी द्वारा सामना की जा रही एक अजीबोगरीब समस्या का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि सरकार की बिजली आपूर्ति सेवाएं अंतिम छोर के पारेषण के बुनियादी ढांचे में देर कर रही हैं और यह कंपनी को इनफर्म बिजली की राह पर चलने के लिए मजबूर कर रही है। परियोजना चालू होने से पहले किसी परियोजना से उत्पन्न बिजली को सीधे ग्रिड में फीड करने को इनफर्म बिजली कहते हैं।
हालांकि यह एक बड़ी समस्या की ओर भी इशारा करता है। यह कुछ ऐसी बात, जिसके संबंध में अक्षय ऊर्जा कंपनियों में वैश्विक निवेशक भी हमेशा चिंतित रहे हैं।