बैंकिंग व्यवस्था में नकदी की कमी के बीच सितंबर महीने में चालू वित्त वर्ष में जमा प्रमाण पत्र (सीडी) जारी करने की रफ्तार उच्च स्तर पर पहुंच गई। बैंकों ने इसके माध्यम से संसाधन जुटाने की कवायद की। सीडी कम अवधि के ऋण जुटाने के साधन होते हैं, जिसका इस्तेमाल बैंक धन जुटाने के लिए करते हैं।
सितंबर में बैंकों ने 73,856 करोड़ रुपये के सीडी जारी किए, जबकि अगस्त में 56,895 करोड़ रुपये और जुलाई में 45,550 करोड़ रुपये के सीडी जारी किए गए थे।
बैंक सीडी के माध्यम से धन जुटाने की दौड़ में शामिल थे, जिसकी वजह से 6 महीने और 12 महीने की सीडी दरें सितंबर में क्रमशः 2 आधार अंक और 5 आधार अंक बढ़ीं। हालांकि 3 माह की सीडी दरें 3 आधार अंक गिरकर 7.05 प्रतिशत पर आ गईं।
जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक अजय मंगलुनिया ने कहा, ‘ऐसा नकदी की वजह से हुआ। व्यवस्था में नकदी की कमी ज्यादा रही और बैंक रिजर्व बैंक से उधारी ले रहे थे। और आईसीआरआर (बढ़े क्रेडिट रिजर्व रेशियो)) की वजह से रिजर्व बैंक ने कुछ नकदी खींची थी, जिसे किस्तों में जारी किया गया।’
उन्होंने कहा, ‘सितंबर महीने में सामान्यतया अग्रिम कर आता है, जीएसटी का भुगतान होता है और तमाम तरह के भुगतान होते हैं। ऐसे में सितंबर महीना सामान्यतया तंग रहता है। साथ ही त्योहारों के कारण भी ऋण दिया जा रहा है, क्योंकि त्योहार में लोगों को धन की जरूरत होती है। यह एक तरह से व्यस्त मौसम की शुरुआत होती है। कर्ज की उठान थोड़ी ज्यादा रहती है।’
बैंकिंग व्यवस्था में नकदी 15 सितंबर से ही कम बनी हुई है। वस्तु एवं सेवा कर भुगतान और अग्रिम कर के भुगतान के कारण ऐसी स्थिति है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार को केंद्रीय बैंक ने व्यवस्था में 1 लाख करोड़ रुपये डाले हैं।