माइक्रोसॉफ्ट के वाइस चेयरमैन एवं अध्यक्ष ब्रैड स्मिथ जी-20 समिट के लिए भारत में हैं। उन्होंने शिवानी शिंदे के साथ एक वीडियो साक्षात्कार में Artificial Intelligence (AI) से जुड़ी चिंताओं, इसे विनियमित बनाने की जरूरत और एआई से पैदा होने वाले अवसरों के बारे में विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है। मैं वाकई यह मानता हूं कि भारत सरकार ने इस दिशा में सही कदम उठाया है। ऐसे कुछ फीचर्स हैं जो बेहद दिलचस्प और महत्वपूर्ण हैं। पहला, यह मान्यता है कि डेटा प्रोसेसर और डेटा फिड्यूशरीज हैं। मेरा स्पष्ट तौर पर यह मानना है कि कई देशों के मुकाबले डेटा फिड्यूशरी के बारे में सोचना बेहतर है। वे इसे डेटा कंट्रोलर के तौर पर परिभाषित करते हैं। भारत ने डेटा के संदर्भ में कानूनी सुरक्षा मुहैया कराने की दिशा में अच्छा काम किया है।
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मेरा मानना है कि एआई के साथ दुनिया के लिए अच्छा करने का अवसर शायद हमारी जिंदगी की किसी भी तकनीक से अधिक है और यह बेहद आकर्षक है। लेकिन साथ ही मैं यह कहना चाहूंगा कि इसे बुद्धिमानी के साथ विकसित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। हम पहली पीढ़ी के लोग हैं जो ऐसी मशीनें तैयार कर रहे हैं जिनसे ऐसे निर्णय लिए जा सकेंगे जो हमेशा से लोगों द्वारा लिए जाते रहे हैं। हमें इसके लिए सही दिशा में आगे बढ़ना होगा। यदि हम इसमें विफल रहे तो हमारे बाद आने वाली हरेक पीढ़ी हमारी गलतियों की कीमत चुकानी पड़ेगी।
दो चिंताएं हैं जिनके बारे में मैंने सुना है। इनमें से एक यह है कि एआई ठीक से मानव नियंत्रण में नहीं रहेगी, वह अपनी स्वयं की तकनीक का इस्तेमाल करेगी, अपने निर्णय स्वयं लेगी और अपने कदम इस तरह से उठाएगी जो इंसान के लिए चिंता का विषय हो सकता है। वहीं मेरे नजरिये से अच्छी खबर यह है कि एक कंपनी के तौर पर हम ऐसे सिद्धांत के प्रति समर्पित हैं कि एआई ऐसा माध्यम होना चाहिए जो लोगों की सेवा करे, यह मानव नियंत्रण में बना रहे।
जिस दूसरी चिंता के बारे में मैंने सुना, वह यह है कि टेक कंपनियां बेहद तेज गति से आगे बढ़ रही थीं जिससे उत्पाद लोगों के लिए जल्द उपलब्ध हो रहे थे। जैसे जैसे साल बीतता गया, लोगों को अहसास हुआ कि हम गति मापने की कोशिश कर रहे हैं, हम उन लोगों का अंदाजा लगाया जो उत्पाद इस्तेमाल कर सकते हों। हमें यह समझने के लिए कुछ वास्तविक दुनिया के अनुभव की जरूरत है कि लोग उत्पाद का इस्तेमाल कैसे करना चाहेंगे।
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पहली बात तो यह है कि हमें मौजूदा कानूनों पर ध्यान देना होगा। यह मत समझिए कि इस संबंध में कोई कानून लागू नहीं होता है। खासकर प्रयोग के स्तर पर और जब लोग AI के संवेदी इस्तेमाल को लेकर बात करते हैं तो उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए मजबूत कानून मौजूद हैं।
निश्चित तौर पर, सिर्फ निर्णय लेने के लिए कम्प्यूटर का इस्तेमाल करके ऐसे कार्य करने की अनुमति नहीं होगी जो गैर-कानूनी हों। इसका मतलब है कि नए कानूनों के संपूर्ण विकास की कम जरूरत होगी। वहीं, दूसरी बात यह है कि इन बेहद शक्तिशाली मॉडलों के संदर्भ में नए तरह के एआई कानूनों और प्रावधानों की जरूरत भी होगी। मेरा मानना है कि भारत नवाचार को वास्तविक रूप से प्राथमिकता देगा।
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