केंद्र ने यूट्यूब को उन चैनलों पर डिस्क्लेमर लगाने का निर्देश दिया है जो ‘फर्जी’ खबरें फैला रहे हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह पहल ऐसे समय में की गई है जबकि कुछ महीने पहले सरकार द्वारा तथ्यों की जांच के लिए एक इकाई स्थापित करने की योजना पर सेंसरशिप की आशंका के कारण विवाद खड़ा हो गया था।
आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये फर्जी खबरों के प्रसार पर नकेल कसने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कई डिजिटल प्लेटफॉर्मों को एक ज्ञापन भेजा है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी उस पत्र को देखा है। पत्र में प्रमुख सोशल मीडिया बिचौलियों (एसएसएमआई) से कहा गया है कि ‘फर्जी’ खबरों और गैरकानूनी सामग्रियों से निपटने के लिए एक कार्ययोजना 10 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाए।
सरकार की ओर से मेटा, एक्स (पूर्व में ट्विटर), यूट्यूब, डेलीहंट, शेयरचैट और टेलीग्राम सहित विभिन्न प्लेटफॉर्मों को भेजे गए नोटिस में गलत सूचना अथवा फर्जी खबर की परिभाषा नहीं दी गई है। साथ ही यह भी नहीं बताया गया है कि उपयोगकर्ताओं द्वारा व्यापक पैमाने पर तैयार सामग्रियों में से फर्जी खबरों की पहचान कैसे की जाए।
यूट्यूब के अनुसार, उसने अपनी गलत सूचना पर रोक संबंधी अपनी नीतियों के तहत मशीन लर्निंग एवं मानव समीक्षकों के जरिये 2023 की दूसरी तिमाही में वैश्विक स्तर पर 92,000 से अधिक चैनलों और 78,000 वीडियो को हटाया है।