भारत में इंटरनेट की वृद्धि दर लगभग स्थिर हो गई है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के आंकड़ों के अनुसार यह 2016 से 2020 तक दो अंकों की वृद्धि दर के मुकाबले 2021 में गिरकर लगभग 4 फीसदी तक आ गई है। जून 2022 को समाप्त तिमाही में इंटरनेट ग्राहकों की वृद्धि 2022 के कुल महीनों की तुलना में एक फीसदी से भी कम थी। यदि यही तुलना 2021 की समान तिमाही से करें तो यह एक फीसदी से भी कम थी।
उपयोग में आई इस कमी का परिणाम इस बात के माध्यम से देखा जा सकता है कि ब्रॉडबैंड का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या दो साल से एक ही स्तर पर मंडरा रही है। कॉमस्कोर के आंकड़ों के मुताबिक सोशल मीडिया, वीडियो या मनोरंजन के लिए इसका इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 48.5 करोड़ पर ही बनी हुई है। इसका कारण स्मार्टफोन के माध्यम से आसानी से खोजा जा सकता है। जैसे ही इसकी कीमत में उछाल आती है, निम्न और मध्यम आय वाले लोग खरीदना कम कर देते हैं और इंटरनेट की वृद्धि स्थिर हो जाती है। हालांकि, यह ऐसे समय हो रहा है जब लोगों द्वारा उपयोग या समय व्यतीत करने में दो अंकों में वृद्धि हो रही है।
प्लग ऐंड प्ले एंटरटेनमेंट के संस्थापक और पूर्व टेलीविजन अधिकारी अनुज गांधी ने कहा कि वायरलेस (टेलीफोनी) नंबर लगातार गिर रहे हैं। आईडीसी के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट, डिवाइसेस रिसर्च नवकेंदर सिंह ने कहा कि पिछले दो वर्षों से स्मार्टफोन की बिना किसी बाहरी गतिविधि के बढ़ने वाली विकास दर ठप हो गई है। वृद्धि दर में गिरावट आ रही है और यह 2019 के स्तर पर वापस आ गई है।
सिंह ने बताया कि आंकड़ों से पता चलता है 2022 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारतीय स्मार्टफोन बाजार में सालाना आधार पर10 फीसदी की गिरावट आई है। यह 2019 के बाद से तीसरी तिमाही का सबसे कम आंकड़ा था। उन्होंने कहा कि इंटरनेट अर्थव्यवस्था स्मार्टफोन आधारित है और कुल मिलाकर स्मार्टफोन में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।
भारत में कुल मिलाकर 83.7 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जिसमें से 80 करोड़ लोग ब्रॉडबैंड का उपयोग करते हैं। कुल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से 60-63 करोड़ यानी 80 फीसदी लोग स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं। लाखों भारतीयों के लिए इंटरनेट का उपयोग करने का मतलब स्मार्टफोन खरीदना है। ये फोन बैंडविड्थ को प्रोसेस करने में सक्षम हैं जिसका उपयोग आप फिल्म देखने, संगीत सुनने या ऑनलाइन मीटिंग करने के लिए करते हैं। ये डेटा की खपत करते हैं जिन्होंने गूगल, मेटा (फेसबुक, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम), नेटफ्लिक्स या एमएक्स प्लेयर को बनाया है।
इन कंपनियों ने मीडिया में जो आज प्रमुखता हासिल की है, उसका कारण सिर्फ डेटा है। जैसे-जैसे स्मार्टफोन की कीमत कम होती गई, भारत में इंटरनेट का विकास हुआ और स्मार्टफोन सबसे बेहतर दूरसंचार साधन बन गया। और इसीलिए आज मीडिया एक बड़ा बाजार बनकर उभरा है। महामारी ने हालांकि इस पर रोक लगा दी। स्मार्टफोन निर्माण में इस्तेमाल होने वाले चिप की आपूर्ति ठप होने से कीमतों में उछाल आई। पहले मध्यम और निचले आयवर्ग के लोगों के लिए एक साधारण फोन से स्मार्टफोन में अपग्रेड होने के लिए लगभग 8,000 रुपये खर्च करने पड़ते थे।
सिंह ने कहा कि अब उस मूल्य दायरे में कोई स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं है। औसत बिक्री मूल्य 16,000 रुपये से 20,000 रुपये हो गया है। एक दूरसंचार अधिकारी ने कहा कि किफायती कीमतें खत्म हो गई हैं। इसका मतलब यह है कि जो लोग साधारण फोन का उपयोग करते हैं और एक ऐसे फोन में अपग्रेड करना चाहते हैं जो उन्हें इंटरनेट पर उनकी आवश्यकताओं तक पहुंचने में मदद कर सके।
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लेकिन वे लोग बढ़ती मूल्य श्रृंखला के हिसाब से आगे नहीं बढ़े। नई चिप निर्माण क्षमता अगले 3-5 वर्षों में चालू हो जाएगी। क्षमता में पहला बड़ा इजाफा 2023 की दूसरी छमाही में होगा। इससे मांग-आपूर्ति की स्थिति में आसानी आएगी और प्रवेश स्तर के स्मार्टफोन के लिए चिप उपलब्धता सुलभ हो जाएगी। चूंकि जिन लोगों के पास पहले से ही स्मार्टफोन हैं वे वैसे भी अधिक फिल्में और शो देख रहे हैं या मीटिंग आदि कर रहे हैं, इसलिए इंटरनेट पर कुल बिताया गया समय बढ़ता जा रहा है। मध्यम अवधि के दौरान मीडिया खपत, विज्ञापन खर्च या सदस्यता वृद्धि पर असर अभी तक स्पष्ट नहीं है। लेकिन अगर इस साल स्मार्टफोन के प्रवेश स्तर पर इंटरनेट की रफ्तार नहीं बढ़ती है, तो मौजूदा ब्रॉडबैंड उपयोगकर्ता ही केवल इतने इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं।