जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जीका) द्वारा भारत के साथ समझौता किए जाने की उम्मीद है। भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने, इस क्षेत्र में नवाचार और प्रतिभा विकास को रफ्तार देने के लिए यह समझौता किए जाने के आसार हैं। जीका के इंडिया चीफ रिप्रेजेंटेटिव ताकेउची ताकुरो ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें नहीं पता कि यह परियोजना क्या होगी क्योंकि यह अभी भी शुरुआती चरण में है, लेकिन भारत सरकार पहले ही गुजरात और असम को छांट चुकी है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना भारत सरकार की नीति के अनुरूप होगी।
जीका द्वारा गुरुवार को जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण, मास रैपिड ट्रांसपोर्ट और जलीय कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में 11,181 करोड़ रुपये के छह समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। सेमीकंडक्टर क्षेत्र में इस साझेदारी को जीका से बड़ी वित्तीय सहायता का समर्थन मिलेगा और यह टाटा को सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयां स्थापित करने में सहायता प्रदान कर सकती है। यह पहल पिछले साल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद तथा आधुनिक सेमीकंडक्टर समाधानों की जापानी आपूर्तिकर्ता रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन के बीच घोषित साझेदारी के बाद की गई है।
ताकुरो ने कहा, ‘आर्थिक सुरक्षा मायने रखती है और भारत सरकार सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित करने के लिए उत्सुक है। वर्तमान में हम भारत सरकार के साथ इस संबंध में जोरदार रूप से चर्चा कर रहे हैं कि हम किस तरह सहयोग कर सकते हैं क्योंकि जापान ऐसा देश है जिसके पास इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा ताकत है और हमारे पास सेमीकंडक्टर क्षेत्र में कई वैश्विक अच्छी कंपनियां हैं। इसलिए यह अब हमारी बड़ी दिलचस्पी है।’ साल 2021 में 76,000 करोड़ रुपये के व्यय के साथ शुरू किए गए भारतीय सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) का उद्देश्य सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले का दमदार पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण और डिजाइन के मामले में वैश्विक केंद्र के रूप में भारत की स्थिति मजबूत करने के साथ-साथ समेकंडक्टर और डिस्प्ले संबंधी योजनाओं के सुव्यवस्थित और अबाध क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में सेवा करना है।
भारत का सेमीकंडक्टर खपत बाजार साल 2024-25 में 52 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है और साल 2030 तक 13 प्रतिशत की दमदार चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की उम्मीद है। इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आईईएसए) की रिपोर्ट के अनुसार वाहन और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिकी जैसे क्षेत्र अतिरिक्त मूल्य के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं। ताकुरो ने कहा, ‘बातचीत साल 2023 में शुरू हुई थी और हम भारत सरकार के सभी संबंधित पक्षों के साथ इस पर चर्चा कर रहे हैं, जिसमें इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राज्य सरकारें और कुछ राष्ट्रीय विश्वविद्यालय शामिल हैं।’