मारुति सुजूकी ने बुधवार को अपने नई मिड-साइज एसयूवी विक्टोरिस को पेश किया। यह तेजी से लोकप्रिय हो रही इस श्रेणी में कंपनी की दूसरी पेशकश है। मारुति सुजूकी के एमडी और सीईओ हिसाशी ताकेउची का कहना है कि कंपनी अपनी बाजार हिस्सेदारी को मजबूत करने, निर्यात बढ़ाने और एसयूवी की बढ़ती मांग के साथ छोटी कारों पर अपने लंबे समय से ध्यान देने के प्रयासों को संतुलित करने की कोशिश कर रही है।
4 से 4.5 मीटर लंबे एसयूवी को मिड-साइज एसयूवी माना जाता है। सुजूकी जापान से भारत में अधिक निर्यात उत्पादन स्थानांतरित कर रही है, क्योंकि कंपनी की वैश्विक रणनीति में भारत का महत्व लगातार बढ़ रहा है। नई विक्टोरिस को दुनिया भर के लगभग 100 बाजारों में भेजने की योजना है, जिससे एक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत की महत्ता का पता चलता है। ताकेउची ने एसयूवी की पेशकश के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘निर्यात पर हमेशा विचार किया जाता है। सुजूकी जापान अपने निर्यात बाजार का अधिक से अधिक हिस्सा जापान से भारत की ओर स्थानांतरित कर रहा है। भारत से, हम बेहद प्रतिस्पर्धी कीमतों पर और एक मजबूत, टिकाऊ वाहन का निर्यात कर सकते हैं।’
मारुति सुजूकी के लिए निर्यात का आंकड़ा घरेलू बिक्री की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। कंपनी ने 2024-25 में 330,000 वाहनों का निर्यात किया और वर्ष 2030-31 तक इसे दोगुना से ज्यादा कर 750,000 वाहन पर पहुंचाने की योजना है। ताकेउची ने इस बात पर जोर दिया कि एसयूवी में सफलता, यात्री वाहनों में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी को पुनः प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, जो मौजूदा समय में लगभग 40 प्रतिशत है, जबकि पहले यह 50 प्रतिशत से अधिक थी।
उन्होंने कहा, ‘अब एसयूवी की कुल बाजार हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है, इसलिए इस सेगमेंट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’ मारुति सुजूकी की कुल बिक्री में एसयूवी की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत है, जो वर्ष 2020-21 के 8.9 प्रतिशत से लगभग तीन गुना ज्यादा है। लगभग 1,240 करोड़ रुपये के निवेश के साथ विक्टोरिस का निर्माण कंपनी के खरखौदा संयंत्र में किया जाएगा।