चीन द्वारा निर्यात प्रतिबंधों के कारण दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट संकट को लेकर दुनिया भर की वाहन कंपनियों ने चिंता जताई है मगर भारतीय उद्योग जल्द ही समाधान की उम्मीद कर रहा है। इस बीच सरकार घरेलू उत्पादन के लिए आर्थिक प्रोत्साहन देने और दुर्लभ खनिज मैग्नेट के दीर्घकालिक भंडार को बढ़ाने पर विचार कर रही है। फिलहाल भारत से लगभग 30 आवेदन मंजूरी के विभिन्न चरण में अटके हैं जिससे उत्पादन प्रभावित होने और इन्वेंट्री घटने का खतरा है। उद्योग से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘फोक्सवैगन जैसी कुछ यूरोपीय कंपनियों को परमिट मिल गए हैं। मगर अभी तक किसी भारतीय कंपनी को मंजूरी नहीं मिली है। हमें जल्द ही समाधान की उम्मीद है।’ सूत्रों ने बताया कि उद्योग की प्रमुख कंपनियों ने सरकार को सूचित किया है कि आपूर्ति नहीं होने से 6 से 8 सप्ताह के भीतर उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
दिलचस्प है कि वाहन, रक्षा और ऊर्जा के अलावा चिकित्सा क्षेत्र में भी दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट का व्यापक तौर पर उपयोग किया जाता है। भारतीय चिकित्सा उपकरण कंपनियों ने भी इन तत्त्वों की कम उपलब्धता के बारे में चिंता जताई है क्योंकि मैग्नेट, खास तौर पर नियोडिमियम मैग्नेट, डायग्नोस्टिक इमेजिंग (जैसे एमआरआई) और कुछ चिकित्सीय उपचार के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
मीडिया की खबरों के अनुसार भारी उद्योग मंत्रालय पहले से ही घरेलू विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए उत्पादन-आधारित वित्तीय प्रोत्साहन योजना बनाने की प्रक्रिया में है। रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि सरकार ‘मेड इन इंडिया’ मैग्नेट की अंतिम कीमत और चीन के आयात की लागत के बीच के अंतर की आंशिक भरपाई कर सकती है। सरकार भंडार बढ़ाने के लिए कंपनियों से भी बात कर रही है। इस पर भी विचार किया जा रहा है कि भारत में स्वच्छ ऊर्जा की बड़ी महत्त्वाकांक्षा के कारण दुर्लभ और महत्त्वपूर्ण खनिजों की मांग कई गुना बढ़ सकती है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा चीन के उत्पादों पर शुल्क बढ़ाए जाने की प्रतिक्रिया में चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अप्रैल की शुरुआत में कई दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट के निर्यात पर रोक लगा दिया था। इसके कारण दुनिया भर में इन खनिजों की आपूर्ति को लेकर संकट खड़ा हो गया और कई यूरोपीय वाहन कंपनियों को उत्पादन लाइन तक बंद करना पड़ा है।
यूरोप के वाहन आपूर्तिकर्ता संघ सीएलईपीए ने कहा कि अभी तक जमा कराए गए लाइसेंस आवेदनों में से केवल 25 फीसदी को ही परमिट मिला है। जर्मन एसोसिएशन ऑफ द ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने भी चेतावनी दी है कि उद्योग का उत्पादन जल्द ही थम सकता है। जर्मनी की वाहन दिग्गज बीएमडब्ल्यू ने कहा कि उसका कुछ आपूर्तिकर्ता नेटवर्क प्रभावित हुआ है। सुजूकी मोटर ने जापान में अपनी स्विफ्ट कार का उत्पादन बंद कर दिया है जबकि निसान ने कहा कि वह इस संकट का समाधान करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है।
मारुति सुजूकी ने कहा कि उसके उत्पादन पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मारुति के कॉरपोरेट मामलों के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक राहुल भारती ने कहा कि उन्होंने पहले ही आयात का आवेदन जमा कर दिया है और आधिकारिक प्रतिक्रिया मिलने तक इस पर टिप्पणी करना सही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई समस्या आती है तो हम अपने सभी हितधारकों को सूचित करेंगे।
दुनिया भर में दुर्लभ खनिज मैग्नेट के उत्पादन में चीन का हिस्सा करीब 92 फीसदी है, जबकि 7 फीसदी उत्पादन जापान और 1 फीसदी उत्पादन वियतनाम करता है। दुर्लभ खनिज का पांचवां सबसे बड़ा भंडार होने के बावजूद भारत वर्तमान में दुर्लभ खनिज कंपनी आईआरईएल के माध्यम से हर साल केवल 1,500 टन नियोडिमियम-प्रेसियोडीमियम का उत्पादन करता है जिसमें मैग्नेट विनिर्माण की सीमित क्षमता है। आईआरईएल का उत्पादन मुख्य रूप से परमाणु ऊर्जा और रक्षा इकाइयों की जरूरतों को पूरा करने के लिए है।
इस बीच चिकित्सा उपकरण क्षेत्र भी हाई अलर्ट पर है। मेडिकल टेक्नॉलजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट पवन चौधरी ने कहा, ‘यह स्पष्ट करना महत्त्वपूर्ण है कि मानक एमआरआई मशीनों में मुख्य चुंबकीय क्षेत्र दुर्लभ खनिज मैग्नेट द्वारा नहीं बल्कि सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट द्वारा उत्पन्न होता है जो आम तौर पर निओबियम-टाइटेनियम अलॉय से बने होते हैं। हालांकि दुर्लभ मैग्नेट सहायक घटकों में अहम भूमिका निभाते हैं।’