facebookmetapixel
जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा बड़ा जाल फरीदाबाद में धराशायी, 360 किलो RDX के साथ 5 लोग गिरफ्तारHaldiram’s की नजर इस अमेरिकी सैंडविच ब्रांड पर, Subway और Tim Hortons को टक्कर देने की तैयारीसोने के 67% रिटर्न ने उड़ा दिए होश! राधिका गुप्ता बोलीं, लोग समझ नहीं रहे असली खेलIndusInd Bank ने अमिताभ कुमार सिंह को CHRO नियुक्त कियाहाई से 40% नीचे मिल रहा कंस्ट्रक्शन कंपनी का शेयर, ब्रोकरेज ने कहा- वैल्यूएशन सस्ता; 35% तक रिटर्न का मौकात्योहारी सीजन में दिखा खरीदारी का स्मार्ट तरीका! इंस्टेंट डिजिटल लोन बना लोगों की पहली पसंदQ2 में बंपर मुनाफे के बाद 7% उछला ये शेयर, ब्रोकरेज बोले – BUY; ₹298 तक जाएगा भावNifty Smallcap में गिरावट की चेतावनी! 3 तकनीकी संकेत दे रहे हैं 5% क्रैश का इशाराक्या Hindalco अब उड़ान भरेगा? एक ब्रोकर ने दिया ₹920 का टारगेट, बाकी रहे सतर्कसोना खरीदने का वक्त आ गया! एक्सपर्ट दे रहे हैं निवेश की सलाह, बोले- अब नहीं खरीदा तो पछताएंगे

भारत में आएगा 1.2 करोड़ डॉलर का एआई फाउंडेशनल मॉडल

भाटिया ने कहा कि निवेश लागत में जीपीयू के इस्तेमाल की मौजूदा वाणिज्यिक दर शामिल है। हालांकि Meity की सब्सिडी योजना के तहत इसे घटाकर 1 डॉलर प्रति घंटा किया जा सकता है।

Last Updated- March 05, 2025 | 7:28 AM IST
AI
Representative image

सैन फ्रांसिस्को (अमेरिका) की रियल टाइम मशीन लर्निंग प्लेटफॉर्म टर्बोएमएल के संस्थापकों ने भारतीय भाषाओं पर आधारित AI Foundational models बनाने के लिए विश्व के सभी भारतीय मूल के Artificial Intelligence (एआई) शोधकर्ताओं को ए​क साथ लाने के लिए रणनीतिक पहल की है। कंपनी के संस्थापकों में से एक सिद्धार्थ भाटिया ने कहा है कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ योजना पर चर्चा की है और हाल ही में उन्होंने केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ मुलाकात भी की है। इस दौरान उन्होंने वैष्णव को 10 महीनों के भीतर 1.2 करोड़ डॉलर से भी कम लागत में भारतीय भाषाओं पर आधारित एआई मॉडल बनाने के अपने प्रयास के बारे में जानकारी दी है। परियोजना के लिए सिलिकन वैली के निवेशकों और अन्य वैश्विक निवेशकों से रकम मिलेगी।

भाटिया ने बताया कि वह चैटजीपीटी, एंथ्रोपिक क्लाउड, गूगल जेमिनी और मेटा लामा जैसे मॉडलों का नेतृत्व करने वाली टीमों से भारतीय विशेषज्ञों के साथ-साथ मूल ट्रांसफॉर्मर पेपर के योगदानकर्ताओं को साथ लाने वाले हैं। प्रस्तावित मॉडल एक लाभकारी इकाई होगी ताकि इससे भविष्य में फिर निवेश किया जा सके।

Also Read: भारत में सरकारी दक्षता विभाग कितना जरूरी

भाटिया ने कहा, ‘विस्तृत विश्लेषण के बाद हमने पाया कि इसके लिए 1.15 करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत होगी, जिसमें इसे दो चरणों में तैयार करने और ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) की लागत शामिल होगी और इसके अलावा डेटासेट के प्रशिक्षण और लोगों की भर्तियों पर खर्च किया जाएगा। हम अधिकतर कार्य भारत में ही करेंगे और करीब 30 लोगों की मूल टीम के साथ इसे पूरा किया जाएगा। इसे पूरा होने में करीब 10 महीने का वक्त लगेगा।’ हालांकि, उन्होंने अपने प्रयासों में मदद के लिए सरकारी सहायता की संभावना से भी इनकार नहीं किया है।

भाटिया ने कहा कि निवेश लागत में जीपीयू के इस्तेमाल की मौजूदा वाणिज्यिक दर शामिल है। हालांकि इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की सब्सिडी योजना के तहत इसे घटाकर 1 डॉलर प्रति घंटा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चीन में डीपसीक की पेशकश के साथ ही कई शोधकर्ता चैटजीपीटी और अन्य जैसे अरबों डॉलर में तैयार किए गए एआई मॉडल के विपरीत अब कम कीमत वाले एआई मॉडल तैयार करने के लिए नवोन्मेषी तरीके निकाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में फाउंडेशनल मॉडल बनाने में सबसे बड़ी चुनौती भाषाई विविधता के साथ-साथ इंटरनेट स्केल डेटा की है।

First Published - March 5, 2025 | 7:28 AM IST

संबंधित पोस्ट