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स्मार्ट मनी या धीमा जहर? Options Trading का कड़वा सच, जो हर निवेशक को जानना जरूरी!Share Market: वैश्विक दबाव का बाजार पर असर, सेंसेक्स-निफ्टी मामूली गिरावट के साथ बंदKSH International IPO: GMP, डेट और प्राइस बैंड के साथ निवेश से पहले पूरी जानकारीबेरोजगारी में बड़ी गिरावट: नवंबर 2025 में दर 4.7% पर आई, महिलाओं-गांवों में सबसे ज्यादा सुधारक्या आप EMI चुकाने से चूक गए? जानें इसका आपके क्रेडिट स्कोर पर क्या असर पड़ेगा और इससे कैसे बचेंभारत डेटा सेंटर के लिए दुनिया की पसंदीदा जगह, क्योंकि यहां बिजली की कोई कमी नहीं: गोयलE20 मानकों का पालन न करने वाले वाहनों को हटाने या उनमें सुधार करने की कोई योजना नहीं: गडकरीविदेशी संपत्ति दिखानी है, लेकिन टैक्स फॉर्म में कॉलम नहीं दिख रहा? इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बताई वजहCBDT की सख्ती: दान संबंधी दावों की दोबारा जांच के बाद टैक्सपेयर्स को डिपार्टमेंट से SMS-ईमेल से अलर्टक्रेडिट कार्ड से हुआ फ्रॉड? इन टिप्स को फॉलो करें और पैसा वापस पाएं
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भारत को अगले 25 साल में शासन की संरचना पर ध्यान देने की जरूरत

भारत में लोकतंत्र, कानून का शासन और संस्थानों के कारण मुख्यतौर पर स्वतंत्रता के 75 साल बाद भारत के समक्ष असीम संभावनाएं मौजूद हैं। लेकिन भारत के सामने कई चुनौतियां जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और शासन की संरचना हैं। हमें अपनी जनांकीय लाभांश का फायदा उठाना है। बिज़नेस स्टैंडर्ड प्लेटिनम पर्स्पेक्टिव्स के नामचीन विशेषज्ञों के पैनल […]

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विधि के शासन की सफलता के लिए आवश्यक तत्त्व

समाज की सभी समस्याओं का समाधान विधि के शासन में निहित है। फिर वे समाज के किसी भी वर्ग से क्यों न जुड़ी हों। चाहे वामपंथ हो या दक्षिणपंथ, उदारवादी हों या रूढ़िवादी, उन सभी का भी ऐसा ही विश्वास है। इससे जुड़े नियमों को लेकर उनमें मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इस पर उनकी […]

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न्यायपालिका की नाकामी के क्या हैं कारण?

सार्वजनिक बुद्धिजीवी और मीडिया टिप्पणीकार ‘विधि के शासन’ पर अत्यधिक विश्वास रखते हैं, यह और बात है कि नियम शक्तिशाली लोगों द्वारा बनाये जाते हैं और एक ऐसी व्यवस्था में लागू किये जाते हैं जहां संसाधन संपन्न लोग उनकी व्याख्या अपने फायदे के लिए कर सकते हैं। इस आलेख में हम इस विषय में बात […]

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संवैधानिक मूल्यों पर आधारित हो राजनीति

भले ही चुनावों को लेकर औपचारिक प्रावधान बरकरार हैं लेकिन भारतीय लोकतंत्र राजनीतिक संस्कृति के एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। इस संकट में सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच के संवाद, एक विविधतापूर्ण समाज में बहुसंख्यकवाद की बढ़ती वैधता, मूल अधिकारों और कानून प्रवर्तन के प्रावधानों के प्रभाव को लेकर भरोसा कम […]