कार बनाने वाली पहली देसी कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स दूसरी पारी शुरू करने की कोशिश में है। एंबेसडर जैसी लोकपिय्र कार देने वाली यह कंपनी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) क्षेत्र पर नजर रखते हुए एक प्रमुख यूरोपीय कंपनी के साथ साझे उपक्रम के लिए बात कर रही है। इस बारे में समझौता हो चुका है और जांच-परख जल्द शुरू होने की उम्मीद है, जो 2-3 महीने में पूरी भी हो जाएगी। हिंदुस्तान मोटर्स के निदेशक उत्तम बोस ने बताया, 'शुरूआत में इस परियोजना के तहत दोपहिया वाहन पेश किए जाएंगे और उनके बाद चारपहिया आएंगे।' बात तो साझे उपक्रम के लिए चल रही है मगर वह कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स में हिस्सेदारी भी ले सकती है क्योंकि बोस ने इस बात से इनकार नहीं किया। मगर उन्होंने कहा कि इस समय बातचीत साझे उपक्रम पर ही केंद्रित है, जिसमें 51 फीसदी हिस्सेदारी हिंदुस्तान मोटर्स के पास होगी। मगर उन्होंने कहा कि शेयरधारिता पर चर्चा हो सकती है और कंपनी इसका आकलन करेगी। नए वाहन पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा में हिंदुस्तान मोटर्स के कारखाने में ही बनेंगे। इस कारखाने में कामकाज 2014 में रोक दिया गया था। उसके बाद से वहां काम पूरी तरह ठप है। वित्त वर्ष 2022 के सालाना नतीजों पर कंपनी ने कहा कि प्रबंधन ने कम उत्पादकता, बढ़ती अनुशासनहीनता, रकम की किल्लत और उत्पादों की मांग में कमी के कारण 24 मई, 2014 से उत्तरपाड़ा कारखाने में काम रोकने की घोषणा की थी। मध्य प्रदेश के पीथमपुर में स्थित कारखाने में 4 दिसंबर, 2014 को छंटनी कर दी गई थी। एंबेसडर कार उत्तरपाड़ा कारखाने में ही बनती थी, जिसे मॉरिस ऑक्सफर्ड की तर्ज पर बनाया गया था। मगर इस नामी ब्रांड की चमक घटने के साथ ही कारखाने में काम भी बंद हो गया। हिंदुस्तान मोटर्स कार बनाने वाली पहली भारतीय कंपनी थी। इसकी बुनियादी सीके बिड़ला के दादा बीएम बिड़ला ने की थी। एक समय सरकारी अमले में यही कार चलती थी और 1970 के दशक तक 75 फीसदी बाजार पर इसी का कब्जा था। मगर 1983 में मारुति सुजूकी ने मारुति 800 कार उतारी , जिसके बाद एंबेसडर का जादू फीका पडऩे लगा। रिपोर्ट बताती हैं कि 1984 से 1991 के बीच एंबेसडर की बाजार हिस्सेदारी घटकर केवल 20 फीसदी रह गई। उसके बाद दुनिया भर की कार कंपनियां भारत चली आईं और एंबेसडर की राह पहले से भी मुश्किल हो गई। एंबेसडर ब्रांड 2017 में केवल 80 करोड़ रुपये में प्यूजो एसए के हाथ बेच दिया गया। हिंदुस्तान मोटर्स का नया साझा उपक्रम उत्तरपाड़ा में कंपनी के पास बची 295 एकड़ जमीन का इस्तेमाल करेगा। उत्तरपाड़ा में कंपनी के पास पहले 700 एकड़ जमीन थी मगर 2007 में उसने अतिरिक्त पड़ी 314 एकड़ जमीने के लिए श्रीराम प्रॉपर्टीज के साथ सौदा कर लिया। पिछले साल हीरानंदानी समूह ने लॉजिस्टिक्स और हाइपरस्केल डेटा सेंटर पार्क बनाने के लिए 100 एकड़ जमीन खरीदने का सौदा हिंदुस्तान मोटर्स के साथ किया। बोस ने कहा कि हीरानंदानी समूह के साथ जमीन सौदे से मिली पूंजी कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त होगी। बाकी धन का इस्तेमाल ईवी और पुर्जों की परियोजना के लिए किया जा सकता है।
