सरकार के साथ कई दौर की बातचीत और पिछले दो दिनों से कई क्षेत्रों में बिजली कटौती के बाद जम्मू कश्मीर में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया। मंडलायुक्त राघव लैंगर की ओर से जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि यह निर्णय लिया गया है कि विभाग सामान्य स्थिति बहाल करेगा और सरकार उनकी मांगों पर काम करेगी। इस नोटिस पर जेऐंडके पावर एम्पलोयीज ऐंड इंजीनियर्स कोऑर्डिनेशन कमिटी (जेकेपीईईसीसी) का हस्ताक्षर है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस नोट की समीक्षा की है। इसमें कहा गया है, 'यह निर्णय किया गया है कि जेऐंडके पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (जेकेपीटीसीएल) और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल) के बीच प्रस्तावित संयुक्त उद्यम के निर्णय को स्थगित कर दिया जाएगा। जेकेपीईईसीसी के सदस्यों को शामिल कर बनाई गई समिति आगे की कार्रवाई के लिए सिफारिशें करेगी।' नोट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि वेतनमान को नियमित किया जाएगा। इसमें कहा गया है, 'जेकेपीडीडी, जेकेएसपीडीसीएल, जेकेपीटीसीएल के सेवारत कर्मचारियों को सुरक्षित किया जाएगा। ये तीनों कंपनियां विद्युत विभाग की इकाई हैं।' तीनों इकाइयों के कर्मचारियों ने इस केंद्र शासित प्रदेश में बिजली वितरण का निजीकरण करने के जेऐंडके विद्युत विकास विभाग के कदम और साथ ही पारेषण इकाई जेकेपीटीसीएल का पीजीसीआईएल में विलय का विरोध करने के लिए हड़ताल किया था। कर्मचारियों के इस कदम से केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बिजली कटौती और सर्विसिंग में देरी की नौबत आ गई जिससे पूरी तरह से अंधेरे की स्थिति उत्पन्न हो गई। राजनीतिक नेताओं ने इस स्थिति की आलोचना की है। जेऐंडके नैशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, 'मैं जम्मू में हूं जहां पर पड़ोसी के घर कल से ही बिजली नहीं आ रही है। यही हाल समूचे जम्मू कश्मीर का है।'
