येस बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक राणा कपूर और उनके परिवार की कंपनियों की भूलभुलैया, खासकर डूइट अर्बन वेंचर्स इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की गहन जांच के दायरे में है। सीबीआई का आरोप है कि डीएचएफएल के प्रवर्तक कपिल वधावन ने डूइट अर्बन वेंचर्स को बिल्डर ऋण के रूप में रिश्वत दी थी। इसके बदले येस बैंक ने लघु अवधि डिवेंचर में 3,700 करोड़ रुपये का निवेश किया था। बिजनेस स्टैंडर्ड ने कंपनी रजिस्ट्रार के पास जमा दस्तावेज का अध्ययन किया जो एक दिलचस्प कहानी बयां करता है। कंपनी रजिस्ट्रार के दस्तावेज से पता चलता है कि कंपनी आतिथ्य सेवा एवं बुनियादी ढांचा में अतिरिक्त कारोबार के साथ-साथ भारत और विदेश में जिंस कारोबार भी करती है। हाल के वर्षों में डूइट की किस्मत नाटकीय रूप से बदल गई। वर्ष 2018-19 में कंपन ने 59 करोड़ रुपये के राजस्व पर 48.76 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया जबकि 2017-19 में उसने 43 करोड़ रुपये के राजस्व पर महज 2.7 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया था। कंपनी रजिस्ट्रार के पास जमा कराए गए दस्तावेजों में कंपनी ने नुकसान को इस तरह जायज ठहराया है: कंपनी ने अपनी सहायक इकाइयों के जरिये आतिथ्य सेवा, बुनियादी ढांचा, पर्यटन आदि जैसे क्षेत्र के कारोबार में रणनीतिक गैर-चालू निवेश किया। डूइट ने ऋण का इस्तेमाल किया जो पिछले वर्ष के मुकाबले 2018-19 में दोगुना वृद्धि के साथ 600 करोड़ रुपये हो गया। जांच एजेंसियों का कहना है कि डीएचएफएल ने डूइट को 600 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी जिसकी फिलहाल जांच चल रही है।
