11 राज्यों में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा बेरोजगारी | |
सोमेश झा / नई दिल्ली 04 12, 2019 | | | | |
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के मुताबिक 2017-18 में देश के 11 राज्यों में बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक थी। हरियाणा, असम, झारखंड, केरल, ओडिशा, उत्तराखंड और बिहार में 2011-12 की तरह बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक बनी हुई है लेकिन 2017-18 में इस सूची में पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश भी जुड़ गए। एनएसएसओ के वार्षिक आवर्ती श्रम बल सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।
2011-12 में नौ राज्यों में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक थी जिनमें जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल भी शामिल थे। केरल में अब भी बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है। 2017-18 में राज्य में बेरोजगारी दर 11.4 फीसदी थी जबकि 2011-12 में यह 6.1 फीसदी थी। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक देश के 19 बड़े राज्यों में हरियाणा में बेरोजगारी दर 8.6 फीसदी, असम में 8.1 फीसदी और पंजाब में 7.8 फीसदी थी।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस रिपोर्ट की प्रतिलिपि को देखा है जिसे सरकार ने जारी नहीं किया है। सरकार का कहना है कि यह अभी मसौदा है जबकि इसके लिए सभी मंजूरियां मिल चुकी है। वर्ष 2017-18 में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी थी जबकि 2011-12 में यह 2.2 फीसदी थी। 2017-18 में सबसे कम बेरोजगारी दर (3.3 फीसदी) छत्तीसगढ़ में रही। मध्य प्रदेश में यह 4.5 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 4.6 फीसदी रही। इस दौरान सभी बड़े राज्यों में बेरोजगारी की दर में बढ़ोतरी हुई। बड़े राज्यों में बेरोजगारी की दर में सबसे तेज इजाफा गुजरात में हुआ। 2011-12 में 0.5 फीसदी थी लेकिन 2017-18 में यह बढ़कर 4.8 फीसदी हो गई। 2011-12 में गुजरात में बेरोजगारी की दर सबसे कम थी लेकिन 2017-18 में यह कर्नाटक के स्तर पर पहुंच गई है और इसने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और कई दूसरे राज्यों को पीछे छोड़ दिया।
गुजरात में बेरोजगारी दर में उछाल का मुख्य कारण यह रहा कि बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार नहीं मिला। 2011-12 में राज्य में ग्रामीण इलाकों में युवाओं में बेरोजगारी की दर 0.8 फीसदी थी जो 2017-18 में 14.9 फीसदी पहुंच गई। इस दौरान शहरी इलाकों में यह 2.1 फीसदी से बढ़कर 10.7 फीसदी हो गई।
बेंगलूरु में अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट के प्रमुख अमित बसोले ने कहा, 'केरल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी की वजह यह है कि वह शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा है और इसलिए इसमें आश्चर्य की बात नहीं है। लेकिन गुजरात और कर्नाटक में बेरोजगारी दर में उछाल चौंकाती है क्योंकि अमूमन ये राज्य अच्छा प्रदर्शन करते हैं। हरियाणा जैसे शहरी राज्य में भी बेरोजगारी की दर बढ़ी है। इसका कारण यह हो सकता है कि शिक्षा का स्तर तेजी से बढ़ रहा है या लोग बेहतर नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं।'
गुजरात के बाद बेरोजगारी की दर सबसे अधिक मध्य प्रदेश (4.5 फीसदी) , उत्तर प्रदेश (6.4 फीसदी) और राजस्थान (5 फीसदी) में बढ़ी है जहां 2011-12 की तुलना में अनुपात चार गुना से अधिक बढ़ा है। बड़े राज्यों में बेरोजगारी की दर में सबसे कम इजाफा पश्चिम बंगाल में हुआ। 2011-12 में राज्य में बेरोजगारी की दर 3.2 फीसदी थी जो 2017-18 में 4.6 फीसदी रही। छह साल पहले राज्य सबसे ज्यादा बेरोजगारी के मामले में पांचवें स्थान पर था जबकि 2017-18 में यह सबसे कम बेरोजगारी वाले पांच राज्यों में शामिल था।
महिला-पुरुष के आधार पर देश में बेरोजगारी का आंकलन करने पर दिलचस्प रुझान देखने को मिलते हैं। केवल दो ही राज्यों पश्चिम बंगाल और बिहार में महिलाओं में बेरोजगारी की दर में कमी आई। 2011-12 में बिहार में महिलाओं में बेरोजगारी की दर 8.8 फीसदी थी और वह उस साल सर्वाधिक महिला बेरोजगारी के मामले में दूसरे स्थान पर था। लेकिन 2017-18 में यह घटकर 2.8 फीसदी रह गई। पश्चिम बंगाल में इस दौरान इसमें मामूली गिरावट आई और यह 3.6 फीसदी से घटकर 3.2 फीसदी रह गई।
केरल में 2017-18 में करीब एक चौथाई (23.2 फीसदी) महिलाएं बेरोजगार थीं जो बड़े राज्यों में सर्वाधिक है। छह साल पहले राज्य में महिला बेरोजगारी की दर 14.1 फीसदी थी। असम (13.9 फीसदी), पंजाब (11.7 फीसदी) और हरियाणा (11.4 फीसदी) में महिलाओं में बेरोजगारी दर दहाई में पहुंच गई जो राष्टï्रीय औसत (5.7 फीसदी) से करीब दोगुना है।
पुरुषों में 2017-18 में सर्वाधिक बेरोजगारी दर झारखंड में 8.2 फीसदी रही जो 2011-12 की 2.4 फीसदी की तुलना में तीन गुना से अधिक है। इसके बाद हरियाणा (8.1 फीसदी), तमिलनाडु (7.8 फीसदी) और बिहार (7.4 फीसदी) हैं। 15 से 29 साल के आयु वर्ग में केरल में महिला बेरोजगारी की दर गंभीर स्तर पर पहुंच चुकी है। रोजगार तलाश रहीं करीब तीन-चौथाई युवतियों को 2017-18 में नौकरी नहीं मिली।
ग्रामीण पंजाब में युवतियों में बेरोजगारी दर 2017-18 में 43.2 फीसदी रही जबकि 2011-12 में यह 4.2 फीसदी थी। असम (38.5 फीसदी), हरियाणा (29.4 फीसदी) और तमिलनाडु (26.7 फीसदी) में भी गांवों में युवतियों की बेरोजगारी दर अपेक्षाकृत अधिक रही। हालांकि बिहार के शहरी इलाकों में युवतियों में बेरोजगारी की दर 2017-18 में 38.2 फीसदी रही जबकि 2011-12 में यह 43.4 फीसदी थी।
|