मुफलिसी के दौर से गुजर रहे भारतीय वाहन उद्योग के लिए दिसंबर में सेनवैट कटौती की दवा भी कोई करिश्मा नहीं कर सकी और साल के आखिरी महीने में भी देसी ग्राहकों ने इन कंपनियों को ज्यादा भाव नहीं दिया और बिक्री के आंकड़े पटरी से उतरे ही रहे।
दिसंबर 2007 के मुकाबले पिछले महीने घरेलू बाजार में वाहनों की बिक्री में तकरीबन 18.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। भारतीय वाहन निर्माताओं के संगठन सियाम के आंकड़े बताते हैं कि वाणिज्यिक और दोपहिया कंपनियों की हालत तो दिसंबर में बेहद बुरी रही। वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में अप्रैल से दिसंबर 2008 के बीच लगभग 15.52 फीसदी की कमी रही।
दोपहिया वाहनों की बिक्री में अप्रैल-दिसंबर 2008 के दौरान तो 1.85 फीसदी का इजाफा हुआ, लेकिन दिसंबर महीने में यह दिसंबर 2007 के मुकाबले तकरीबन 15.43 फीसदी कम हो गई।
यात्री कार बनाने वाली कंपनियों को सेनवैट कटौती से अच्छी खासी उम्मीदें थीं।
उन सभी कंपनियों ने अपने तकरीबन सभी मॉडलों की कीमतें कम भी की थीं। लेकिन उनकी बिक्री में भी दिसंबर 2007 के मुकाबले लगभग 13.86 फीसदी की कमी रही। 2007 के दिसंबर महीने में यात्री कारों की बिक्री का आंकड़ा 88,272 रहा था, लेकिन पिछले महीने महज 82,105 कारें ही बिक सकीं।
हालांकि कॉम्पैक्ट, ए 4 और लक्जरी कारों की बिक्री के आंकड़े कम रहे, लेकिन मिडसाइज और प्रीमियम यानी ए 5 कारों की बिक्री दिसंबर महीने में अच्छी खासी बढ़ी। मिडसाइज कारों की बिक्री दिसंबर 2007 में 12,316 रही थी, लेकिन पिछले महीने यह आंकड़ा 14,823 हो गया। इसी तरह प्रीमियम कारों की बिक्री का आंकड़ा भी 444 से बढ़कर 483 हो गया।
दोपहिया वाहनों में मोटरसाइकिलों की बिक्री में दिसंबर महीने में कमी देखी गई। पिछले महीने कुल 335,820 मोटरसाइकिलों की बिक्री घरेलू बाजार में हुई, जबकि दिसंबर 2007 में यही आंकड़ा 435,925 था।
दिलचस्प बात है कि स्कूटर को पसंद करने वाले दिसंबर के महीने में बढ़ते दिखाई पड़े। 2007 के दिसंबर में केवल 77,494 स्कूटर खरीदे गए थे, लेकिन पिछले महीने इस आंकड़े में अच्छा खासा इजाफा देखा गया। दिसंबर 2008 में कुल 90,247 स्कूटर बेचे गए।