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हरित मोबिलिटी वाले स्टार्टअप में निवेश को तैयार उबर

Last Updated- December 12, 2022 | 12:21 AM IST

वित्त कंपनियों और आवासीय वित्त कंपनियों (एचएफसी) ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 25,000 करोड़ रुपये के ऋणों की बिक्री की है। ये सौदे प्रतिभूतिकरण और प्रत्यक्ष असाइनमेंट (डीए) के जरिये किए गए हैं। इस गतिविधि में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 65 फीसदी की उछाल देखी गई है। क्रमिक रूप से गतिविधि का आकार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 17,200 करोड़ रुपये से 45 फीसदी अधिक थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक संग्रह पर निवेशकों की चिंता को रेखांकित करते हुए डीए की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही में दोबारा से आकार के दो तिहाई के सामान्य चलन पर चला गया है जो जून 2022 में समाप्त तिमाही में 50 फीसदी पर था।  
प्रतिभूतिकरण (पास थ्रू सर्टिफिकेट्स या पीटीसी) और डीए के बीच विभाजन ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उलटफेर का दौर देखा था जिसमें पीटीसी की हिस्सेदारी आकार के एक तिहाई के बजाय आधी हो गई थी। ऐसा इसलिए था कि निवेशकों ने पीटीसी को प्रमुखता दी थी जो कि डीए से उलट ऋण वृद्घि की पेशकश करता है। इसमें एक निकाय से दूसरे निकाय में द्विपक्षीय असाइनमेंट को शामिल किया जाता है।
जैसा कि इस क्षेत्र की विशिष्टिता है, तिमाही के अंतिम महीने ने इसमें थोक में योगदान दिया। आकार के लिहाज से तिमाही सौदों का 60 फीसदी सितंबर, 2021 में डाला गया है।
कोविड 19 की दूसरी लहर के बावजूद चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में प्रतिभूतिकरण आकार 42,000 करोड़ रुपये के साथ वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही के 22,700 करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक था। इसे सुधरते आर्थिक हालातों, अधिक चयनित और स्थानीय स्तर पर लगाए गए लॉकडाउन, वितरण में वृद्घि और विभिन्न संपत्ति वर्गों में संग्रह क्षमता में सुधार से दम मिला है।   
चूंकि कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण ने जोर पकड़ लिया है ऐसे में प्रतिभूतिकरण के आकार में रैखिक वृद्घि वित्त वर्ष की अगली दो तिमाहियों में भी जारी रहने की उम्मीद है। इक्रा का अनुमान है कि वार्षिक प्रतिभूतिकरण का आकार वित्त वर्ष 2022 में करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है जिसका मतलब होगा कि वित्त वर्ष 2021 के मुकाबले इसमें 40 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
तिमाही के लिए आकारों पर मामूली असर 24 सितंबर, 2021 को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए नए प्रतिभूतिकरण दिशानिर्देशों के कारण पड़ा है। कुछ बाजार हिस्सेदारों ने नए दिशानिर्देशों को पूरी तरह से अपना लेने तक सौदों को विलंबित कर दिया है। बहरहाल, नए दिशानिर्देशों का प्रतिभूतिकरण बाजार के विस्तार के संदर्भ में दीर्घावधि में सकारात्मक असर पड़ेगा।  

First Published - October 11, 2021 | 11:37 PM IST

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