तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और टाटा मोटर्स के अधिकारियों की बुधवार को एक अन्य दौर की बैठक और रविवार को एक टीम द्वारा फोर्ड इंडिया के साणंद विनिर्माण संयंत्र का दौरा किए जाने से टाटा समूह द्वारा फोर्ड की इकाइयों के संभावित अधिग्रहण को लेकर चर्चा का बाजार गरम है।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब अपना परिचालन बंद करने की घोषणा किए जाने के तीन महीने बाद भी फोर्ड इंडिया और यूनियन के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया है। दोनों पक्षों के बीच कंपनी की दोनों इकाइयों के कुल करीब 4,000 कर्मचारियों के लिए पैकेज को लेकर गतिरोध बरकरार है।
फोर्ड इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी की प्राथमिकता नौकरियों को बचाने पर है और इसलिए कंपनी कई लोगों से बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, ‘पैकेज पर बातचीत में थोड़ा वक्त लगेगा और यूनियन के साथ इस पर चर्चा जारी है।’
फोर्ड ने 9 सितंबर को तमिलनाडु के मराईमलाई और गुजरात के साणंद में अपनी विनिर्माण इकाइयों का परिचालन बंद करने की घोषणा की थी। बुधवार को टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने स्टालिन से मुलाकात की जो फोर्ड संयंत्र के बंद होने के बाद मुख्यमंत्री के साथ कंपनी के किसी शीर्ष अधिकारी की तीसरी बैठक थी। 7 अक्टूबर को टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने खुद मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी।
टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि फोर्ड इडिया के बारे में बातचीत बाजार की कयासबाजी है। चर्चा यह भी है टाटा समूह फोर्ड इंडिया की भूमि के कुछ हिस्से अपनी सेमीकंडक्टर इकाई के लिए खरीदना चाहता है। कंपनी ने इसका भी खंडन किया। टाटा मोटर्स ने राज्य में एक ड्राइविंग मोटर प्रशिक्षण स्कूल खोलने की भी योजना बनाई थी।
साणंद में रविवार को एक टीम ने फोर्ड संयंत्र का दौरा किया जिनके बारे में अनुमान लगाया जा रहा है कि वे टाटा मोटर्स से आए थे। साणंद के फोर्ड संयंत्र के एक यूनियन श्रमिक ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘आगंतुक लोगों ने संयंत्र को देखा लेकिन हमें यह पता नहीं चल सका कि वे किस कंपनी से आए थे। हम यह मांग कर रहे हैं कि यूनियन श्रमिकों एवं अन्य स्थायी कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर बरकरार रखा जाए लेकिन प्रबंधन की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कुछ भी नहीं कहा गया है।’ साणंद संयंत्र में 900 यूनियन श्रमिकों के साथ करीब 2,500 स्थायी कर्मचारी हैं।
