केंद्र सरकार की 26,000 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने की दिशा में मजबूत आधार बना देगा, यह मानना है विश्लेषकों का। उनका कहना है कि इस कदम से दोपहिया निर्माताओं को काफी सहारा मिलेगा।
बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इलेक्ट्रिक व हाइड्रोजन फ्यूल सेल व्हीकल समेत देसी वाहन उद्योग की विनिर्माण क्षमता में मजबूती के लिए 25,938 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को मंजूरी दी थी। यह योजना वित्त वर्ष 23 से पांच साल के लिए प्रभावी रहेगी और पात्रता के लिए आधार वर्ष वित्त वर्ष 20 होगा।
इस योजना का फायदा उठाने के लिए मूल उपकरण विनिर्माताओं का राजस्व कम से कम 10,000 करोड़ रुपये होना चाहिए जबकि फिक्स्ड ऐसेट में 3,000 करोड़ रुपये निवेश होना चाहिए। वाहन कलपुर्जा निर्माताओं का न्यूनतम राजस्व 500 करोड़ रुपये और फिक्स्ड ऐसेट में 150 करोड़ रुपये निवेश होना चाहिए।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जताते हुए निफ्टी ऑटो इंडेक्स गुरुवार को 0.5 फीसदी चढ़ गया और बॉश व ट्यूब इन्वेस्टमेंट के शेयर पांच फीसदी चढ़े जबकि हीरो मोटोकॉर्प में 1.7 फीसदी, बजाज ऑटो में 0.84 फीसदी, आयशर मोटर्स में 0.7 फीसदी की उछाल आई। इसकी तुलना में बेंचमार्क निफ्टी 0.6 फीसदी चढ़कर बंद हुआ।
इस योजना पर विश्लेषकों की राय पर एक नजर :
मोतीलाल ओसवाल फाइनैशियल सर्विसेज
यह योजना आकर्षक है। हमारा मानना है कि राजस्व व पांच साल में संभावित निवेश को लेकर पात्रता मानक उचित है, जो ज्यादातर ओईएम व कलपुर्जा विनिर्माताओं की पात्रता सुनिश्चित करता है। ब्रोकरेज ने कहा, इसके तहत मिल रहा प्रोत्साहन मूल रूप से प्राकल्लित 57,000 करोड़ रुपये से काफी कम है, पर हमारा मानना है कि यह प्रतिस्पर्धा में सुधार के लिए सही है।
कोटक सिक्योरिटीज
फेम-2 नीति (उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी) और एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल के लिए पीएलआई योजना और भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण पर प्रोत्साहन काफी आकर्षक है।
एंटिक ब्रोकिंग
यह योजना स्वच्छ तकनीक को प्रमोट करता है क्योंकि ओईएम को ईवी व फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल के विनिर्माण पर प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि इंटरनल कम्बस्टन इंजन वाले वाहनों की ओर तेजी से बढऩा पारंपरिक ऑटो ओईएम के लिए नकारात्मक है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज
वाहन उद्योग के लिए पीएलआई योजना की घोषणा के समय को चीन में नियामकीय अड़चन के कारण वहां से निवेश की निकासी के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। भारत वाहन उद्योग के लिए वैश्विक आपूर्ति शृंखला का हिस्सा बनने की राह पर है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज
ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि पीएलआई योजना स्पष्ट बताती है कि नीति निर्माता एनईवी वाहनों को प्रमोट करने पर ध्यान बनाए हुए हैं। हालांकि कलपुर्जा के मामले में 22 एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की सूची बनी है ताकि भारत में इसका आक्रामक तौर पर स्थानीयकरण हो सके। विभिन्न ओईएम ने इस योजना से आईसीई को बाहर रखने पर चिंता जताई है।