प्रमुख वाहन कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के निदेशक मंडल ने सहायक इकाई महिंद्रा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड के सुदृढीकरण संबंधी प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इसके तहत कंपनी अपने ई-वाहन कारोबार का खुद में विलय करेगी।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने एक बयान में कहा है कि कंपनी को इस पहल से कारोबारी ढांचे को सरल बनाने और उसमें नवाचार, कार्यान्वयन उत्कृष्टता, कुशलता एवं किफायत के जरिये सुधार लाने में मदद मिलेगी।
कंपनी इस सुदृढीकरण के तहत अपने इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार को दो प्रमुख श्रेणियों- लास्ट माइल मोबिलिटी (एलएलएम) और इलेक्ट्रिक व्हीकल टेक सेंटर- में वर्गीकृत करेगी। एलएलएम के पास दूर-दराज के मोबिलिटी समाधान के लिए मूल्य शृंखला का पूर्ण स्वामित्व होगा जो वृद्धि एवं निष्पादन को परिचालित करेगी। वह साझेदारी एवं गठबंधन की तलाश करते हुए एमआरवी, उत्तरी अमेरिका और यूरोप में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के उत्पाद विकास दक्षता के व्यापक परिवेश संग तालमेल बिठाते हुए तमाम संसाधनों के साथ ईवी टेक सेंटर भी उपलब्ध कराएगी। महिंद्रा की दो दशकों से अधिक पुरानी इलेक्ट्रिक वाहन यात्रा ‘बिजली’ के साथ शुरू हुई थी जो भारत का पहला वाणिज्यिक इलेक्ट्रिक वाहन है। तभी से इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी के यात्री एवं वाणिज्यिक वाहनों के साथ उसके व्यापार का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है। भारतीय सड़कों पर कंपनी के 32,000 से अधिक महिंद्रा इलेक्ट्रिक वाहन मौजूद हैं। इन वाहनों ने 27 करोड़ किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र को कवर किया है।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहन कारोबार फिलहाल एक महत्त्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है और उसमें जबरदस्त वृद्धि की संभावनाएं दिख रही हैं। ऐसे में इस सुदृढीकरण से उपयुक्त संसाधनों को उपलब्ध कराने के साथ-साथ वृद्धि लक्ष्य की ओर रफ्तार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के कार्यकारी निदेशक राजेश जेजुरिकर ने कहा, ‘इलेक्ट्रिक वाहन ऑटोमोटिव कारोबार का भविष्य होगा। भविष्य के लिए खुद को तैयार रखने के लिहाज से हमारा मानना है कि ईवी प्रमुख कारोबार का हिस्सा होना चाहिए। यह सुदृढीकरण हमारी उस ईवी रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत ई-मोबिलिटी को लोकप्रिय बनाने के लिए विभिन्न श्रेणियों को इलेक्ट्रिक बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।’