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बंपर-टु-बंपर कवर मामले पर कानून निर्माताओं को विचार करने की जरूरत

Last Updated- December 12, 2022 | 1:01 AM IST

मद्रास उच्च न्यायालय ने बंपर टू बंप बीमा कवर मामले में अपने लिखित आदेश में कहा है कि उसके पिछले आदेश को लागू करना आर्थिक और लॉजिस्टिक दृष्टिïकोण से संभव नहीं होगा। अदालत ने 1 सितंबर के बाद से बिकने वाले सभी नए वाहनों के लिए इस बीमा कवर का प्रावधान किया था। अदालत ने अपना पिछला आदेश वापस लेते हुए वाहनों के विस्तृत कवर पर कानून में उपयुक्त संशोधन की जरूरत की जांच करने का जिम्मा कानून निर्माताओं को सौंपा है ताकि पीडि़तों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बीमा क्षेत्र की शीर्ष संस्था भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने अदालत से कहा है कि वह सभी दुर्भाग्यपूर्ण पीडि़तों के बेहतर और पूर्ण कवरेज पर विचार करेगा चाहे वे ड्राइवर, मालिक या उसमें अकारण बैठने वाले व्यक्ति या पिछली सीट पर बैठी सवारी का मामला ही क्यों न हो। सामान्य बीमाकर्ताओं की प्रतिनिधि संस्था सामान्य बीमा परिषद (जीआई काउंसिल) अदालत से उसके पिछले आदेश पर स्पष्टीकरण की मांग करने के लिए अदालत पहुंची थी। 

अदालत ने हर साल बंपर टू बंपर बीमा का आदेश दिया था जिसमें पांच वर्ष तक की अवधि के लिए ड्राइवर, यात्रियों और वाहन मालिक को कवर किया जाना था। जी आई काउंसिल ने अदालत से जानना चाहा था कि बंपर टू बंपर से उसका क्या अभिप्राय है। परिषद यह जानना चाहती थी कि क्या अदालत के बंपर टू बंपर कवर का अभिप्राय बीमा के पैकेज में अपना नुकसान और मोटर थर्ड पार्टी को शामिल करने से है। परिषद ने अदालत से बीमाकर्ताओं को 90 दिनों की मोहलत भी देने की मांग की थी ताकि बीमा नियामक की मंजूरी के बाद कंप्यूटर सिस्टम में जरूरी बदलाव किए जा सकें। 
जीआई काउंसिल, आईआरडीएआई और वाहन विनिर्माताओं के संगठन (सायम) ने प्रस्तुत किया कि अदालत के पिछले आदेश से अनपेक्षित प्रभाव पड़ा है और समाज पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है इसलिए अदालत की ओर से दिए गए निर्देशों को वापस लिया जाना चाहिए।

इसके अलावा जीआई काउंसिल और आईआरडीएआई दोनों ने अदालत को आश्वस्त किया कि बीमा में किसी निजी कार में अकारण बैठे यात्री और पिछली सीट पर बैठी सवारी जैसे बीमा के दायरे से बाहर रह गए निर्दोष पीडि़तों का ख्याल रखा जाएगा जो कि अदालत की भी चिंता है।
मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश से वाहन डीलर सकते में आ गए थे क्योंकि उन्हें इस बात का डर सताने लगा था कि यदि अदालत के आदेश को पूरी तरह से लागू किया जाता है तो नया कार खरीदना महंगा हो जाएगा। 

First Published - September 16, 2021 | 6:54 AM IST

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