अपने संयंत्रों को बंद करने की घोषणा के बाद चेन्नई और साणंद में कर्मचारी यूनियनों के साथ बातचीत को लेकर फोर्ड इंडिया सोमवार को सुर्खियों में रही। दोनों यूनियनों ने ‘सेवरेंस पैकेज’ यानी विशेष मुआवजा पेशकश स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और प्रबंधन से रोजगार सुरक्षा की मांग की है।
तमिलनाडु और गुजरात में दोनों इकाइयों में 4,000 कर्मियों के बीच पैदा हुई चिंता के बीच प्रबंधन ने उन्हें सूचित किया है कि अब तक इसे लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि इन संयंत्रों को अन्य कंपनी को सौंपा जाएगा। चेन्नई फोर्ड इम्पलॉयीज यूनियन के अध्यक्ष सुरेश एस ने कहा, ‘हमने किसी पैकेज के बारे में बात करने से भी इनकार कर दिया और हम इसके लिए किसी तरह से तैयार नहीं थे। हमने आज की बैठक में रोजगार सुरक्षा को लेकर बात की थी। हम अपने रोजगार चाहते हैं।’ इसी तरह की स्थिति साणंद में भी देखी गई थी और वहां भी यूनियनों ने रोजगार सुरक्षा को लेकर अपना रुख अडिग बनाए रखा।
साणंद में, यूनियन ने अपनी मांग नहीं रखी है, क्योंकि वह प्रबंधन द्वारा संयंत्र के भविष्य पर स्थिति स्पष्ट किए जाने का इंतजार कर रही है। फोर्ड इंडिया के साणंद संयंत्र में यूनियन नेताओं ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘प्रबंधन के पास संयंत्र के भविष्य को लेकर जवाब नहीं था। श्रमिकों की रोजगार सुरक्षा हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है और हमें इस संबंध में आश्वासन की जरूरत है। प्रबंधन ने हमें बताया है कि कार उत्पादन दिसंबर 2021 तक पूरी तरह बंद किया जाएगा और सिर्फ पावर-ट्रेन इकाई कामकाज करेगी।’
सिर्फ संयंत्र कर्मी ही नहीं, विभिन्न डीलरों से संबंधित करीब 40,000 कर्मियों का भविष्य भी कंपनी के इस निर्णय से प्रभावित हुआ है। दोनों संयंत्रों पर, प्रबंधन के अधिकारियों ने श्रमिकों को यह आश्वासन दिया है कि वे शीर्ष अधिकारियों से स्थिति स्पष्टï होने के बाद उन्हें वापस ले लेंगे। प्रबंधन प्रतिनिधियों ने संयंत्र को किसी अन्य निर्माता को सौंपे जाने से जुड़ी चर्चाओं के बारे में प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है।
पिछले सप्ताह तमिलनाडु सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि रोजगार प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि कंपनी ने संयंत्र को अन्य निर्माता को सौंपने की योजना बनाई है।