इसे नैनो का प्रभाव कह सकते हैं कि इसके लॉन्च के महज हफ्ते भर पहले पुरानी कारों की मांग 25-30 फीसदी तक गिर गई है।
मुंबई के एक कार डीलर के मुताबिक, पुरानी कारों की औसत कीमत में भी 15-20 फीसदी की कमी हो गई है। मारुति 800, मारुति आल्टो, हुंडई सैंट्रो सहित अन्य छोटी कारों पर नैनो का प्रभाव सबसे ज्यादा देखा जा रहा है।
असंगठित बाजार के डीलरों को भय है कि जब नैनो की लॉन्चिंग हो जाएगी तो पुरानी कार की कीमत और 10 फीसदी घट जाएगी। मुंबई में पुरानी कारों के बड़े डीलरों में से एक ंफजुलभॉय मोटर्स के निदेशक आरिफ फजुलभॉय के मुताबिक, ”नैनो की लॉन्चिंग तिथि तय होते ही पुरानी कारों की कीमत पर नैनो का प्रभाव महसूस किया जाने लगा है। खरीदारों ने अभी से ही खरीद रोक दी है। हालत यह है कि पुरानी कारों के बाजार में अभी से ही सन्नाटे जैसी स्थिति है।”
गौरतलब है कि नैनो के बारे में अनुमान है कि इसकी बेस वर्जन 1.25 से 1.3 लाख की लागत में सड़क पर दौड़ने लगेगी। वहीं नैनो की सबसे बेहतरीन र्वान 1.7 लाख रुपये में आ जाएगी। नैनो का सीधा मुकाबला हुंडई मोटर्स, मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और जनरल मोटर्स की छोटी कारों से माना जा रहा है।
नैनो ने कई कारों के पुराने र्वान की कीमतों को जमीन पर आने को विवश कर दिया है। उदाहरण के लिए, 2006 में बनी हुंडई सैंट्रो की मौजूदा कीमत अब 2.6 लाख की बजाय 2.3 लाख रुपये रह गई है। इसी प्रकार, मारुति सुजुकी की जेन एस्टिलो की कीमत में 40 हजार रुपये की कमी हो गई है। अब यह 3 लाख की बजाय 2.6 लाख रुपये में ही मिल जा रही है।
छोटी कारों की कीमतों में हो रही लगातार कमी से मध्यम रेंज की सेडान कार जैसे फोर्ड आइकन, मारुति सुजुकी एस्टीम, हुंडई एक्सेंट, टाटा इंडिगो और फिएट पेट्रा की कीमतों में भी 10 फीसदी की गिरावट हई है। मुंबई के एक डीलर के मुताबिक, ”कोई कार जितनी पुरानी होगी उसकी कीमत में उतनी ही तेजी से कमी होने जा रही है। नैनो के आने के बाद वाकई में पुरानी कारों की मांग नीचे चली जाएगी।”
हालांकि पुरानी कारों में हो रही कमी असंगठित क्षेत्र तक ही सीमित लगती है। संगठित क्षेत्र में पुरानी कारों की कीमत अब भी पूर्ववत बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि देश में पुरानी कारों का 80 फीसदी कारोबार असंगठित क्षेत्र के तहत आता है। महज 20 फीसदी कारोबार ही संगठित क्षेत्र के दायरे में है। महिंद्रा फर्स्ट च्वॉइस के मुख्य कार्यकारी शुभब्रत साहा ने कहा, ”नैनो के आने से असंगठित क्षेत्र पर खासा असर पड़ेगा।