बैटरी से चलने वाले दोपहिया वाहनों (इलेक्ट्रिक स्कूटर) में हाल में आग लगने की घटनाओं की मुख्य वजह बैटरी पैक और मॉड्यूल की खराब गुणवत्ता रही है। इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसार इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने के लिए बैटरी की खराब गुणवत्ता और विभिन्न तापमानों में बैटरी पैक की पर्याप्त जांच नहीं होना प्रमुख वजह है। डीआरडीओ ने पिछले सप्ताह अपनी रिपोर्ट सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को सौंप दी है। मार्च में मंत्रालय ने डीआरडीओ की अग्नि विज्ञान एवं अभियांत्रिकी शाखा अग्नि, विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा (सीएफईईएस) को इन वाहनों में आग लगने की वजह की जांच करने का निर्देश दिया था।
पिछले वर्ष से अब तक दोपहिया वाहनों में आग लगने की नौ घटनाएं सामने आई हैं। ओला, ओकीनावा, प्योर ईवी, बूम मोटर और जितेंद्र इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में यह दुर्घटना देखी गई है।
डीआरडीओ की जांच रिपोर्ट देखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘आग लगने की प्रत्येक घटनाओं का अध्ययन किया गया है और कारणों का पता लगाया गया है। सभी साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बैटरी की खराब गुणवत्ता, विभिन्न तापमानों में बैटरी पैक की पर्याप्त जांच नहीं होना आग लगने की मुख्य वजह थीं।’ इस सूत्र ने कहा कि बैटरी की गुणवत्ता खराब रही होगी क्योंकि कंपनियां विनिर्माण लागत कम करने के लिए जान बूझकर बैटरी पैक में निम्न गुणवत्ता वाले सामान का इस्तेमाल करती हैं।
सूत्र के अनुसार डीआरडीओ की शाखा ने अपने सुझाव में कहा है कि ईवी विनिर्माताओं के लिए नियमन एवं मानक जल्द से जल्द कड़ा बनाए जाने की जरूरत है।
भारत इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों के लिए अगले वर्ष से नए सुरक्षा मानक नियम एआईएस-156 का अनुपालन करना अनिवार्य कर देगा। इस समय विनिर्माताओं के पास एआईएस-048 चुनने का विकल्प है जो उतना कड़ा नहीं है।
एआईएस-048 मानकों के तहत कई जांच जैसे लघु पथन (शॉर्ट सर्किट), ओवर चार्ज टेस्ट, वाइब्रेशन, शॉक एवं नेल पेनेट्रेशन जांच की जाती हैं मगर एआईएस-156 में अग्नि प्रतिरोधक क्षमता जांच भी की जाएगी। इसमें बैटरी को आग की लपटों में 70 सेकंड तक रखा जाता है।
सूत्र ने कहा, ‘दोपहिया वाहनों में आग लगने की सभी घटनाओं में बैटरी आदि की जाचं एआईए-048 मानकों के तहत हुई थी।’ मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि डीआरडीओ की रिपोर्ट मिल गई है और इसमें शामिल तथ्य इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहना विनिर्माताओं के साथ साझा किए जाएंगे।
