आपूर्ति शृंखला में व्यवधान और आसमान छूती जिंस कीमतों के बीच वाहन कलपुर्जा बनाने वाली कंपनियां ऐसी दुविधा में फंस गई हैं जिसका सामना उन्होंने पिछले कई वर्षों से नहीं की थी। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण स्थिति कहीं अधिक खराब हो गई है। अधिकतर कंपनियों ने कच्चे माल एवं तैयार वस्तुओं की इन्वेंट्री में वृद्धि दर्ज की हैं।
यात्री वाहन विनिर्माता सेमीकंडक्टर और कच्चे माल जैसी महत्त्वपूर्ण सामग्रियों के अभाव में अपने उत्पादन कार्यक्रम पर अमल नहीं कर पा रही हैं। दूसरी ओर दोपहिया, ट्रैक्टर ओर वाणिज्यिक वाहन विनिर्माता मांग में लगातार हो रहे बदलाव को देखते हुए उत्पादन मात्र के बारे में सटीक अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं। ऐसे में आपूर्तिकर्ता यह निर्णय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें कितने उत्पादन करने की आवश्यकता है और वे कच्चे माल की इन्वेंट्री एवं तैयार वस्तुओं के साथ असमंजस की स्थिति में हैं।
संधार टेक्नोलॉजिज के सह-चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक जयंत दावर नेकहा, ‘उत्पादन कार्यक्रम डायनेमिक है और उसमें हर सप्ताह बदलाव हो रहा है।’ अधिकतर वाहन कंपनियां आपूर्ति के लिए जस्ट-इन-टाइम मॉडल का पालन करती हैं। हालांकि आपूर्ति में व्यवधान एवं कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण मौजूदा परिस्थिति आपूर्तिकर्ताओं को सतर्क कर रही है। ऐसे में जस्ट-इन-टाइम मॉडल की प्रभावकारिता प्रभावित हो सकती है और वाहन कलपुर्जा कंपनियों का मार्जिन प्रभावित हो सकता है।
दावर ने कहा कि संधार में तैयार माल और कच्चे माल की इन्वेंट्री में मूल्य के लिहाज से पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इसकी मुख्य वजह चिप जैसे महत्त्वपूर्ण पुर्जों के किल्लत और कंटेनरों की कमी के कारण आपूर्ति में देरी होने वाहन विनिर्माताओं के उत्पादन कार्यक्रम में लगातार बदलाव है। उन्होंने कहा, ‘आयातित पुर्जों अथवा सामग्रियों के लिए यह एक प्रमुख कारण है। आपको अपनी इन्वेंट्री तैयार रखनी होगी लेकिन मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के उतपादन कार्यक्रम में लगातार हो रहे बदलाव के कारण स्थिति कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।’
ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक दीपक जैन ने भी लगभग यही राय जाहिर की। उन्होंने कहा, ‘आयात ऑर्डर के लिए हमें कहीं अधिक लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। जाहिर तौर पर चिप किल्लत के कारण ओईएम के मासिक कार्यक्रम में बदलाव होने से कार्यशील पूंजी एवं इन्वेंट्री प्रबंधन पर दबाव बढ़ता है।’
वाहन विनिर्माता भी मौजूदा परिस्थिति से जूझ रहे हैं। मारुति सुजूकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘पिछले साल हमने सेमीकंडक्टर की किल्लत के कारण आपूर्ति पक्ष में व्यवधान देखा था। उस दौरान मांग में अच्छी वापसी होने से लंबित बुकिंग में बढ़ोतरी हुई।’ उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ महीनों के दौरान स्थिति में सुधार हुआ है लेकिन वह फिलहाल पूरी तरह सुचारु नहीं हो पाई है। ऐसे में ओईएम को अपने आउटपुट को युक्तिसंगत बनाने के लिए उत्पादन शिड्यूल में लगातार बदलाव करना पड़ रहा है।’
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय कपूर ने कहा कि उद्योग को अन्य देशों की तरह लॉजिस्टिक से लेकर चिप की उपलब्धता तक में चुनौतियोंं का सामना करना पड़ा है। ऐसे में जस्ट-इन-टाइम मॉडल का पालन नहीं किया जा सकता है।
