छोटे व मझोले उदयमियों (एसएमई) को कोरोना काल में एसएमई सरकारी खरीद नीति से काफी राहत मिल रही है। इस नीति के तहत सरकारी विभाग एसएमई से लक्ष्य से भी ज्यादा खरीद कर रहे हैं जो कोरोना के कारण मांग में आई कमी के बीच इन उदयमियों के लिए बडी राहत की बात है। एसएमई सरकारी खरीद नीति के तहत केंद्रीय मंत्रालय/विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए अपनी कुल खरीद का 25 फीसदी हिस्सा एसएमई से खरीदना अनिवार्य है। देश में पिछले साल मार्च से कोरोना की मार पड़ रही है।
एमएसएमई मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार एसएमई सरकारी खरीद नीति के तहत केंद्रीय मंत्रालय/विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1,74,551 एसएमई से 40,438 करोड रूपये की सरकारी खरीद की गई थी, जो कुल खरीद का करीब 28 फीसदी हिस्सा थी। जबकि लक्ष्य 25 फीसदी का है। इस तरह एसएमई से उक्त वित्त वर्ष लक्ष्य से करीब 12 फीसदी ज्यादा खरीद गई। वित्त वर्ष 2019—20 के दौरान सरकारी उपक्रमों ने 1,57,671 एसएमई से 39,631 करोड़ रुपये की सरकारी खरीद की थी। चालू वित्त वर्ष में भी छोटे व मझोले उदयमियों से सरकारी खरीद लक्ष्य से ज्यादा चल रही है।
वित्त वर्ष 2021—22 की पहली छमाही के दौरान अब तक केंद्रीय मंत्रालय/ विभाग/ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की कुल खरीद 45,195 करोड़ रुपये हो चुकी है। इसमें से 13,375 करोड़ रुपये की खरीद एसएमई से की गई, जो कुल खरीद का 29.60 फीसदी हिस्सा हैै जबकि एसएमई से खरीद का लक्ष्य 25 फीसदी था। जाहिर है चालू वित्त में एसएमई से सरकारी खरीद लक्ष्य से करीब 18 फीसदी ज्यादा हुई। चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकारी खरीद से अब तक करीब 63,500 छोटे व मझोले उदयमी लाभान्वित हो चुके हैं।
एमएसएमई मंत्रालय ने एसएमई के लिए सरकारी खरीद नीति को लागू करते समय वर्ष 2012 में सरकारी उपक्रम व मंत्रालयों को अपनी कुल खरीद का 20 फीसदी हिस्सा छोटे व मझोले उदयमियों से खरीदने का लक्ष्य दिया था बाद में इसे बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया गया उद्यमियों के मुताबिक इस नीति के लागू होने से पहले कुल सरकारी खरीद का 10 फीसदी हिस्सा भी एसएमई से नहीं खरीदा जाता था। अब केंद्र सरकार के उपक्रम लक्ष्य से भी ज्यादा खरीद एसएमई से कर रहे हैं।
